देश: 'चुनावी नतीजों से यह साफ हो गया कि पार्टी में सुधार की जरूरत है': सोनिया गांधी

देश - 'चुनावी नतीजों से यह साफ हो गया कि पार्टी में सुधार की जरूरत है': सोनिया गांधी
| Updated on: 10-May-2021 02:19 PM IST
नई दिल्ली: हाल ही में सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने पार्टी में "चीजों को दुरुस्त" करने का आह्वान किया है। कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक के संबोधन में सोनिया गांधी ने कहा, "हमें इन गंभीर झटकों का संज्ञान लेने की जरूरत है। यह कहना कम होगा कि हम बहुत निराशा हैं। मेरा इरादा है कि इन झटकों के कारण रहे हर पहलू पर गौर करने के लिए एक छोटे का समूह का गठन करूं और उससे बहुत जल्द रिपोर्ट ली जाए।"

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल के चुनावों में कांग्रेस की नाकामी की समीक्षा के लिए एक समिति बनाने की बात कही। उन्होंने असम और केरल की हार तथा पश्चिम बंगाल में ज़ीरो सीट को अत्यंत निराशाजनक बताया। 

उन्होंने कहा कि कोरोना नियंत्रण को लेकर मोदी सरकार नाक़ाम रही है। उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग दोहराई है। कोरोना को अप्रत्याशित स्वास्थ्य संकट बताते सोनिया गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से इससे निपटने में हरसंभव सहयोग की अपील की।

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, कांग्रेस सुप्रीमो ने कहा, ‘‘हमें इसे समझना होगा कि हम केरल और असम में मौजूदा सरकारों को हटाने में विफल क्यों रहे तथा बंगाल में हमारा खाता तक क्यों नहीं खुला? इन सवालों के कुछ असहज करने वाले सबक जरूर होंगे, लेकिन अगर हम वास्तविकता का सामना नहीं करते, अगर हम तथ्यों को सही ढंग से नहीं देखते तो हम सही सबक नहीं लेंगे।''

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘ये चुनाव नतीजें स्पष्ट तौर पर बताते हैं कि हमें अपनी चीजों को दुरुस्त करना होगा।''

सोनिया ने कहा, ‘‘जब हम गत 22 जनवरी को मिले थे तो हमने फैसला किया था कि कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव जून के मध्य तक पूरा हो जाएगा। चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने चुनाव कार्यक्रम तय किया है। वेणुगोपाल कोविड 19 और चुनाव नतीजों पर चर्चा के बाद इसे पढ़ेंगे।'

गौरतलब है कि असम और केरल में सत्ता में वापसी का प्रयास कर रही कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी। वहीं, पश्चिम बंगाल में उसका खाता भी नहीं खुल सका। पुडुचेरी में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा, जहां कुछ महीने पहले तक वह सत्ता में थी। तमिलनाडु में उसके लिए राहत की बात रही कि द्रमुक की अगुवाई वाले उसके गठबंधन को जीत मिली।

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