MNREGA: सोनिया गांधी का 'मनरेगा पर बुलडोजर' आरोप: 'VB-G राम जी' बिल पर सरकार को घेरा

MNREGA - सोनिया गांधी का 'मनरेगा पर बुलडोजर' आरोप: 'VB-G राम जी' बिल पर सरकार को घेरा
| Updated on: 20-Dec-2025 05:35 PM IST
कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित हुए 'वीबी-जी राम जी' बिल को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। एक वीडियो संदेश जारी करते हुए, उन्होंने इस नए कानून को मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) पर 'बुलडोजर चलाने' जैसा बताया और सोनिया गांधी ने मनरेगा के 20 साल पुराने इतिहास और ग्रामीण भारत पर इसके सकारात्मक प्रभाव को याद करते हुए सरकार के इस कदम की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह बिल गरीबों और वंचितों के हितों पर सीधा हमला है, और कांग्रेस इस 'काले कानून' के खिलाफ संघर्ष जारी रखेगी।

मनरेगा: एक क्रांतिकारी सामाजिक सुरक्षा कवच

सोनिया गांधी ने अपने संदेश में मनरेगा कानून की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला, जिसे 20 साल पहले डॉ और मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में संसद में आम सहमति से पारित किया गया था। उन्होंने इस कानून को एक 'क्रांतिकारी कदम' बताया, जिसने देश के करोड़ों ग्रामीण परिवारों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाया। मनरेगा ने विशेष रूप से वंचित, शोषित, गरीब और अति-गरीब लोगों के लिए रोजी-रोटी का एक स्थायी जरिया प्रदान। किया, जिससे उन्हें अपने गांव और परिवार को छोड़कर रोजगार की तलाश में पलायन करने की मजबूरी से मुक्ति मिली। यह कानून केवल रोजगार का साधन नहीं था, बल्कि इसने ग्रामीण भारत में एक सामाजिक सुरक्षा कवच के रूप में काम किया, जिससे लोगों को अपने ही क्षेत्र में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिला।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ग्राम पंचायतों का सशक्तिकरण

मनरेगा ने न केवल व्यक्तिगत स्तर पर रोजगार सुनिश्चित किया, बल्कि इसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान की। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास और स्थानीय संसाधनों के संरक्षण में मनरेगा श्रमिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सोनिया गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि मनरेगा ने रोजगार का कानूनी हक देकर ग्राम पंचायतों को भी सशक्त किया और यह महात्मा गांधी के 'ग्राम स्वराज' के सपने को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम था, जहां स्थानीय निकाय अपनी जरूरतों के अनुसार विकास कार्यों की योजना बना सकते थे और उन्हें क्रियान्वित कर सकते थे। इस प्रकार, मनरेगा ने सत्ता के विकेंद्रीकरण और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।

कोविड काल में मनरेगा की जीवनदायिनी भूमिका

सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर पिछले 11 वर्षों में मनरेगा को कमजोर करने की लगातार कोशिशें करने का आरोप लगाया। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे कोविड-19 महामारी के दौरान, जब देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लाखों प्रवासी श्रमिक अपने गांवों को लौटने पर मजबूर हुए थे, तब मनरेगा ही उनके लिए 'संजीवनी' साबित हुआ था। उस कठिन समय में, जब अन्य सभी आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई थीं, मनरेगा ने ग्रामीण परिवारों को आय का एक विश्वसनीय स्रोत प्रदान किया, जिससे वे अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके। यह इस कानून की लचीलेपन और ग्रामीण भारत की जरूरतों के प्रति इसकी प्रासंगिकता का प्रमाण था।

'बुलडोजर' चलाकर मनमाने ढंग से बदलाव

सोनिया गांधी ने अत्यंत अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने हाल ही में मनरेगा पर 'बुलडोजर चला दिया' है और उन्होंने आरोप लगाया कि न केवल महात्मा गांधी का नाम इस योजना से हटाया गया, बल्कि मनरेगा के मूल स्वरूप और कार्यप्रणाली को भी बिना किसी विचार-विमर्श, सलाह-मशवरा या विपक्ष को विश्वास में लिए मनमाने ढंग से बदल दिया गया। यह एकतरफा निर्णय लेने की प्रक्रिया लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है, खासकर। जब यह करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले कानून से संबंधित हो। इस तरह के बदलावों से योजना की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल उठते हैं। नए 'वीबी-जी राम जी' बिल के तहत, सोनिया गांधी ने चिंता व्यक्त की कि अब किसको, कितना, कहां और किस तरह का रोजगार मिलेगा, यह जमीनी हकीकत से दूर, दिल्ली में बैठकर सरकार द्वारा तय किया जाएगा। यह केंद्रीकृत निर्णय लेने की प्रक्रिया मनरेगा के मूल सिद्धांत के विपरीत है, जो ग्राम पंचायतों को सशक्त करती थी और स्थानीय जरूरतों के अनुसार रोजगार सृजन को बढ़ावा देती थी। इस बदलाव से ग्रामीण क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं और चुनौतियों को नजरअंदाज किए जाने का खतरा है, जिससे वास्तविक जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचने में बाधा आ सकती है। यह ग्रामीण भारत की स्वायत्तता और स्थानीय शासन पर एक आघात है।

गरीबों के हितों पर सीधा हमला

सोनिया गांधी ने स्पष्ट किया कि मनरेगा को लाना और लागू करना कांग्रेस का एक बड़ा योगदान था, लेकिन यह कभी भी किसी पार्टी से जुड़ा मामला नहीं था। यह हमेशा देशहित और जनहित से जुड़ी एक महत्वपूर्ण योजना रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने इस कानून को कमजोर करके देश के करोड़ों। किसानों, श्रमिकों और भूमिहीन ग्रामीण वर्ग के गरीबों के हितों पर सीधा हमला किया है। यह हमला न केवल उनकी आजीविका पर है, बल्कि उनके कानूनी अधिकार और सम्मान पर भी है। सोनिया गांधी ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि जैसे उन्होंने 20 साल पहले अपने गरीब भाई-बहनों को रोजगार का अधिकार दिलवाने के लिए संघर्ष किया था, वैसे ही आज भी वह इस 'काले कानून' के खिलाफ लड़ने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सभी नेता और लाखों कार्यकर्ता इस संघर्ष में देश के गरीबों के साथ खड़े हैं।

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