IND vs SA 2nd Test: ‘घमंड नहीं करना चाहिए’… कुंबले को आया गुस्सा, डेल स्टेन ने भी साउथ अफ्रीकी कोच को लगाई लताड़

IND vs SA 2nd Test - ‘घमंड नहीं करना चाहिए’… कुंबले को आया गुस्सा, डेल स्टेन ने भी साउथ अफ्रीकी कोच को लगाई लताड़
| Updated on: 26-Nov-2025 11:51 AM IST
भारत दौरे पर साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम ने दमदार प्रदर्शन करते हुए टेस्ट सीरीज। में बढ़त बना ली है और खुद को सीरीज जीत के करीब पहुंचा दिया है। जहां खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से जमकर वाहवाही बटोरी है, वहीं टीम के कोच शुकरी कोनराड का एक बयान विवाद की जड़ बन गया है और इसके चलते उन्हें हर तरफ से लताड़ लग रही है और गुवाहाटी में दूसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन साउथ अफ्रीकी कोच ने भारतीय टीम के लिए एक ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया, जिसका क्रिकेट के इतिहास में एक गहरा और विवादास्पद अतीत रहा है। इस बयान के बाद उन्हें भारतीय दिग्गज अनिल कुंबले और साउथ अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज डेल स्टेन दोनों ने फटकार लगाई है।

विवादित बयान और उसका संदर्भ

यह विवाद गुवाहाटी टेस्ट मैच के चौथे दिन के खेल के बाद शुरू हुआ। साउथ अफ्रीका ने अपनी दूसरी पारी 260 रन पर घोषित। की और टीम इंडिया को 549 रन का विशाल लक्ष्य दिया। दिन का खेल खत्म होने के बाद जब साउथ अफ्रीकी कोच कोनराड से पूछा गया कि। उन्होंने पारी घोषित करने में देरी क्यों की, तो उन्होंने जवाब में एक बेहद विवादास्पद बयान दिया। कोनराड ने कहा कि वह टीम इंडिया को थकाना चाहते थे और उन्हें 'घुटनों के बल रेंगते हुए' देखना चाहते थे। उनके इस बयान में 'घुटनों के बल रेंगते हुए' के लिए अंग्रेजी के जिस शब्द 'ग्रोवेल' (Grovel) का इस्तेमाल किया गया, वही विवाद की असली जड़ बन गया।

'ग्रोवेल' शब्द का ऐतिहासिक महत्व

अनिल कुंबले की कड़ी फटकार

कोनराड का 'ग्रोवेल' शब्द का इस्तेमाल करना ही विवाद की असली जड़ बन गया क्योंकि इसने 49 साल पुरानी कड़वी यादें ताजा कर दीं। 1976 में वेस्टइंडीज दौरे पर इंग्लैंड के कप्तान टोनी ग्रेग ने विंडीज टीम के लिए इसी शब्द का इस्तेमाल किया था। 'ग्रोवेल' का मतलब होता है जमीन पर मुंह के बल लेटना या घुटनों के बल रेंग कर चलना और इस पर तब इसलिए बवाल हुआ था क्योंकि ग्रेग साउथ अफ्रीकी मूल के श्वेत क्रिकेटर थे और उस समय साउथ अफ्रीका पर रंगभेद की नीतियों के कारण अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से प्रतिबंध लगा हुआ था। साथ ही, कैरेबियाई इतिहास में अश्वेत लोगों को गुलाम बनाए जाने की घटनाओं से इसे जोड़कर देखा गया था, जिससे यह शब्द और भी संवेदनशील बन गया था। वेस्टइंडीज ने उस सीरीज को 3-0 से जीतकर ग्रेग के बयान का करारा जवाब दिया था। अब 49 साल बाद दोबारा इस शब्द का क्रिकेट में वापसी करना एक बड़ा विवाद खड़ा कर गया है और कोनराड को चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। पांचवें दिन का खेल शुरू होने से पहले पूर्व भारतीय कोच और दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले ने साउथ अफ्रीकी कोच को घमंड न करने और विनम्र रहने की नसीहत दी। कुंबले ने स्टार स्पोर्ट्स के एक शो में कहा, "इस शब्द के साथ इतिहास जुड़ा है और 50 साल पहले इंग्लैंड के कप्तान ने वेस्टइंडीज में ऐसा कहा था और हमने देखा कि क्या हुआ। साउथ अफ्रीका ने संभवतया ये सीरीज जीत ली है लेकिन जब आप शीर्ष पर होते हो तो आपके शब्दों का चयन अहम होता है। ऐसे वक्त में विनम्रता सबसे अहम है।

डेल स्टेन ने भी जताई नाराजगी

साउथ अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज डेल स्टेन भी अपने कोच के बयान से बेहद खफा नजर आए और उन्होंने साफ कहा कि वह इसके समर्थन में नहीं हैं। इसी शो में दिग्गज पेसर ने कहा, "मैं इसके समर्थन में नहीं हूं। उनका अंदाज शायद टोनी ग्रेग जितना सख्त नहीं था। मगर ये मायने नहीं रखता। आप ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकते और ये बहुत निराशाजनक है। सॉरी शुकरी लेकिन ये बहुत निराशाजनक है। " स्टेन के इन शब्दों से साफ जाहिर होता है कि कोच के बयान ने न केवल भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को बल्कि खुद साउथ अफ्रीकी क्रिकेट बिरादरी के भीतर भी नाराजगी पैदा की है।

टीम के प्रदर्शन पर विवाद का साया

एक ओर जहां साउथ अफ्रीकी टीम ने भारत के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करते हुए सीरीज में मजबूत पकड़ बना ली है, वहीं कोच कोनराड के इस विवादास्पद बयान ने उनकी टीम की उपलब्धियों पर एक नकारात्मक साया डाल दिया है और खेल में प्रतिस्पर्धा महत्वपूर्ण है, लेकिन शब्दों का चयन और खेल भावना का सम्मान भी उतना ही आवश्यक है। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि क्रिकेट जैसे सज्जनों के खेल में, खिलाड़ियों और कोचिंग स्टाफ दोनों को। अपने बयानों के प्रति बेहद सतर्क रहना चाहिए, खासकर जब वे ऐसे शब्दों का उपयोग करें जिनका एक गहरा और संवेदनशील ऐतिहासिक संदर्भ हो।

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