विशेष : 1 हजार साल बाद सूरज के सामने होगा धूमकेतु, हरे और नीले रंग की होगी आतिशबाजी
विशेष - 1 हजार साल बाद सूरज के सामने होगा धूमकेतु, हरे और नीले रंग की होगी आतिशबाजी
विशेष | खगोलीय घटनाओं में रूचि रखने वाले लोगों के लिए बुधवार का दिन बेहद खास होगा। जब हजारों वर्षो के बाद धूमकेतु (कॉमेट) स्वान एक करोड़ 10 लाख मील लंबी पूंछ के साथ सूर्य के सबसे नजदीक से गुजरेगा। इससे हरे रंग का प्रकाश निकलता हुआ नजर आएगा, हालांकि इसकी पूंछ नीले रंग की होगी। जो किसी आतिशबाजी सा नजारा आसमान में पेश करती नजर आएगी।वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि 13 मई की रात में ये धूमकेतु स्वान धरती के बेहद करीब से गुजरा है। अब 27 मई को ये सूर्य के करीब होगा। भारत के अंदर रहने वाले लोग इसे दूरबीन या टेलीस्कोप की मदद से सुबह सूर्योदय से पहले देख सकेंगे।11,597 साल में एक बार ऐसी अनोखी खगोलीय घटना का दीदार होता है। यह धूमकेतु दक्षिण से उत्तर की ओर तेजी से बढ़ रहा है। सूर्य की ओर बढ़ते समय इसकी रोशनी में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। हालांकि यह धूमकेतु अब डेंजर जोन में पहुंच रहा है। जैसे-जैसे यह सूर्य के समीप पहुंचेगा वैसे-वैसे इसके अस्तित्व पर खतरा बढ़ता जाएगा। 27 मई को यह धूमकेतु सूर्य के सबसे नजदीक होगा। उस समय सौर ताप भी अपने चरम पर होगा। अगर यह धूमकेतु सूर्य से बचकर निकल जाता है तो इसका प्रकाश और तेज होगा।क्या होता है धूमकेतुधूमकेतु या कॉमेट सौरमंडलीय में पाए जाने वाले ऐसे तारे होते हैं, जो मूल रूप से पत्थर, धूल, बर्फ और गैस के बने हुए छोटे-छोटे टुकड़े होते है। यह ग्रहों के समान ही सौरमंडल में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। छोटे पथ वाले धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा एक अंडाकार पथ में लगभग 6 से 200 साल में एक बार पूरी करते हैं।कुछ धूमकेतु तारों का पथ वलयाकार होता है और वो अपने पूरे जीवनकाल में मात्र एक बार ही दिखाई देते हैं। लंबे पथ वाले धूमकेतु अक्सर एक परिक्रमा करने में हजारों वर्ष लगाते हैं।बर्फ, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन से होता है तैयारअधिकतर धूमकेतु बर्फ, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, अमोनिया तथा अन्य पदार्थ जैसे सिलिकेट और कार्बनिक मिश्रण के बने होते हैं। इन्हें सामान्य भाषा में पुच्छल तारा भी कहा जाता है क्योंकि इनके पीछे उक्त तत्वों की लंबी पूंछ बनी हुई होती है जो सूर्य के प्रकाश से चमकती रहती है। धूमकेतू का नजर आना अपने आप में दुर्लभ घटना है क्योंकि ये कई बरसों में एक बार नजर आते हैं।