देश: अगर शादी करने का वादा शुरू से झूठा हो तो रेप माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

देश - अगर शादी करने का वादा शुरू से झूठा हो तो रेप माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
| Updated on: 07-Mar-2021 08:06 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि यदि महिला से शादी करने का किया गया वादा शुरू से झूठा है तो उसे रेप माना जा सकता है, अन्यथा ये रेप नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए रेप के एक अरोपी के खिलाफ दाखिल चार्जशीट निरस्त करने का आदेश दिया है। यह मामला उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले का है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने यह आदेश आरोपी सोनू की विशेष अनुमति याचिका पर दिया। सोनू ने याचिका में एफआईआर और चार्जशीट निरस्त करने का आग्रह किया था। कोर्ट ने आदेश में कहा कि एफआईआर और चार्जशीट को पढ़ने भर से तथा साथ में पीड़ित के बयान से साफ है कि जब दोनों के बीच संबंध बना तब उसकी ओर से शादी करने का कोई इरादा नहीं था। न ही यह कहा जा सकता है कि शादी करने का वादा झूठा था।

पीठ ने फैसले में कहा कि अभियुक्त और पीड़ित के बीच रिश्ता आपसी सहमति का था। वहीं दोनों इस रिश्ते में करीब डेढ़ वर्ष से थे। बाद में जब अभियुक्त ने शादी करने से मना किया तो उसके आधार पर एफआईआर दर्ज करवाई गई। इस मामले में एफआईआर साफ कह रही है कि अभियुक्त और शिकायतकर्ता के बीच संबंध एक साल से ज्यादा समय से थे। 

उसका अरोप था कि शादी के लिए अभियुक्त के परिजन राजी थे लेकिन अब शादी के लिए मना कर रहे हैं। इससे लगता है कि उसकी एकमात्र शिकायत सोनू का उससे विवाह नहीं करना है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में शादी करने से मनाही बाद में की गई है जिसके आधार पर एफआईआर हुई है। हमें लगता है कि इस मामले में रेप का कोई आरोप नहीं बनता है। क्योंकि यह सामने नहीं आया है कि शादी का झूठा वादा करके सबंध बनाए गए।

दो बातें सिद्ध करनी होंगी

पीठ ने कहा कि पीबी पवार बनाम महाराष्ट्र केस में हम तय कर चुके हैं कि धारा 375 के तहत महिला की सहमति कब और कैसे होगी। यह स्थापित करने के लिए दो बाते सिद्ध करनी होंगी :

1. शादी का वादा झूठा होना चाहिए, बुरे इरादे से दिया गया हो और अभियुक्त का वादा करने के समय ही उसका उसे पूरा करने का कोई इरादा न हो। 

2. ये झूठा वादा बहुत नया हो और तुरंत किया गया हो या इस वादे का महिला पर उससे संबंध बनाने के बारे में फैसला लेने से सीधा संबंध हो।

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