केंद्र सरकार को राहत: सुप्रीम कोर्ट ने 'वन रैंक वन पेंशन' की नीति को सही ठहराया, तीन महीने में बकाया भुगतान करने का निर्देश

केंद्र सरकार को राहत - सुप्रीम कोर्ट ने 'वन रैंक वन पेंशन' की नीति को सही ठहराया, तीन महीने में बकाया भुगतान करने का निर्देश
| Updated on: 16-Mar-2022 12:28 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए लागू वन रैंक वन पेंशन (OROP) की नीति को सही ठहराया। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई संवैधानिक कमी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नीति में 5 साल में पेंशन की समीक्षा का प्रावधान है जो कि बिल्कुल सही है। सरकार 1 जुलाई 2019 की तारीख से पेंशन की समीक्षा करे। 3 महीने में बकाया का भुगतान करे। बता दें कि याचिकाकर्ता भारतीय भूतपूर्व सैनिक आंदोलन (आईईएसएम) ने सरकार के साल 2015 के वन रैंक वन पेंशन नीति के फैसले को चुनौती दी थी। इसमें उन्होंने दलील दी थी कि यह फैसला मनमाना और दुर्भावनापूर्ण है क्योंकि यह वर्ग के भीतर वर्ग बनाता है और प्रभावी रूप से एक रैंक को अलग-अलग पेंशन देता है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने की सुनवाई

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि वन रैंक वन पेंशन (OROP) पर केंद्र के फैसले में कोई दोष नहीं है और सरकार के नीतिगत मामलों में हम दखल नहीं देना चाहते हैं। अदालत ने निर्देश दिया कि सरकार 1 जुलाई 2019 की तारीख से पेंशन की समीक्षा करे। 3 महीने में बकाया का भुगतान करे।

जानें क्या मांग थी याचिका में

भूतपूर्व सैनिक संघ द्वारा दायर इस याचिका में भगत सिंह कोश्यारी समिति द्वारा पांच साल में एक बार आवधिक समीक्षा की वर्तमान नीति के बजाय एक स्वचालित वार्षिक संशोधन के साथ एक रैंक-एक पेंशन को लागू करने की मांग की गई थी।

केंद्र सरकार ने 7 नवंबर 2015 को ओरोप की अधिसूचना जारी की थी

केंद्र सरकार ने 7 नवंबर 2015 को वन रैंक वन पेंशन योजना(ओरोप) की अधिसूचना जारी की थी। इसमें बताया गया था कि योजना एक जुलाई 2014 से प्रभावी मानी जाएगी।

इससे पहले 16 फरवरी को हुई थी सुनवाई

इससे पहले 16 फरवरी की सुनवाई में अदालत ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र की अतिश्योक्ति ओरोप नीति पर आकर्षक तस्वीर प्रस्तुत करती है जबकि इतना कुछ सशस्त्र बलों के पेंशनरों को मिला नहीं है। इस पर केंद्र ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि यह मंत्रिमंडल का लिया गया फैसला है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि ओरोप की अभी तक कोई वैधानिक परिभाषा नहीं है।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।