Gay Marriage: समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा अहम फैसला

Gay Marriage - समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा अहम फैसला
| Updated on: 17-Oct-2023 11:00 AM IST
सुप्रीम कोर्ट आज समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता पर अपना फैसला सुनाएगा। इससे पहले मई महीने में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्क्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने करीब 10 दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इन याचिकाओं पर सुनवाई करनेवाले जजों की बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एसआर भट्ट, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे।

अब आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आनेवाला है। इससे पहले सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट  से कहा था कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर उसके द्वारा की गई कोई भी संवैधानिक घोषणा कार्रवाई का सही तरीका नहीं हो सकती, क्योंकि अदालत इसके परिणामों का अनुमान लगाने, परिकल्पना करने, समझने और उनसे निपटने में सक्षम नहीं होगी। 

सात राज्यों से मिली प्रतिक्रियाएं 

केंद्र ने अदालत को यह भी बताया था कि उसे समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सात राज्यों से प्रतिक्रियाएं मिली हैं और राजस्थान, आंध्र प्रदेश तथा असम की सरकारों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के याचिकाकर्ताओं के आग्रह का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई 18 अप्रैल को शुरू की थी। 

संसद पर छोड़ देना चाहिए-केंद्र

इस मामले को लेकर जहां केंद्र सरकार कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को इसे संसद के ऊपर छोड़ देना चाहिए। सुनवाई के दौरान अदालत के सामने सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक बॉयोलोजिक पिता और मां बच्चे पैदा कर सकती है, यही प्राकृतिक नियम है, इससे छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। अगर समलैंगिक विवाह को मंजूरी दे भी दी गई तो आदमी-आदमी की शादी में पत्नी कौन होगी? 

कानून के मूल ढांचे को अदालत नहीं बदल सकती

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अदालत न तो कानूनी प्रावधानों को नये सिरे से लिख सकती है, न ही किसी कानून के मूल ढांचे को बदल सकती है, जैसा कि इसके निर्माण के समय कल्पना की गई थी। केंद्र ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह समलैंगिक विवाहों को कानूनी मंजूरी देने संबंधी याचिकाओं में उठाये गये प्रश्नों को संसद के लिए छोड़ने पर विचार करे। (इनपुट-एजेंसी)

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