Rajasthan Vidhansabha 2023: राजस्थान में वसुंधरा राजे के रोल पर सस्पेंस, BJP और पूर्व CM के बीच अनबन की चर्चा

Rajasthan Vidhansabha 2023 - राजस्थान में वसुंधरा राजे के रोल पर सस्पेंस, BJP और पूर्व CM के बीच अनबन की चर्चा
| Updated on: 17-Aug-2023 08:49 PM IST
Rajasthan Vidhansabha 2023: क्या राजस्थान बीजेपी में सब ठीक ठाक है? ये सवाल इसीलिए उठ रहे हैं कि क्योंकि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से जारी दो महत्वपूर्ण कमेटियों में वसुंधरा राजे का नाम नहीं है. संकल्प पत्र समिति और चुनाव प्रबंधन समिति में न तो वसुंधरा का नाम है और न ही उनके समर्थकों का. इन दोनों कमेटियों में उनके कई विरोधियों को ज़िम्मेदारी दी गई है. इससे ये मैसेज जा रहा है कि क्या वसुंधरा से अब पार्टी किनारा करने लगी है? कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में वसुंधरा का क्या कोई बड़ा रोल रहेगा. राजस्थान में कमेटी में नाम को लेकर राजनैतिक घमासान मचा है तो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने टिकट भी बांटने शुरू कर दिए हैं.

ये बात किसी से छिपी नहीं है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के रिश्ते अच्छे नहीं है. कई मौको पर वे अपनी नाराज़गी का इजहार भी कर चुकी हैं. बीजेपी पहले ही ये फैसला कर चुकी है कि राजस्थान में किसी चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ा जाएगा. पार्टी का ये फैसला वसुंधरा राजे को पसंद नहीं आया है.

दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री और 5 बार विधायक रह चुकीं वसुंधरा राजे अभी बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. उनके समर्थक चाहते हैं कि हरियाणा और झारखंड की तरह वसुंधरा को राजस्थान में सीएम उम्मीदवार घोषित किया जाए. पर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व सामूहिक ज़िम्मेदारी से चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है.

राजे के बयान का है इंतजार

अब तक घोषित दोनों कमेटियों में जगह न मिलने पर वसुंधरा की तरफ़ से कोई बयान नहीं आया है. लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरूण सिंह की तरफ़ से सफ़ाई आई है. उन्होंने जयपुर में कहा कि वे सीनियर लीडर हैं और पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करेंगी. जब उनसे ये सवाल पूछा गया कि क्या उन्हें कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया जा सकता है तो अरूण सिंह ने कहा कि ये तो भविष्य तय करेगा. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेन्द्र मोदी को बीजेपी के कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था. प्रचार समिति का अध्यक्ष आधिकारिक रूप से मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बन जाता है. पिछले चुनाव में भी वसुंधरा राजे को गौरव संकल्प समिति में शामिल नहीं किया गया था पर तब वे राज्य की मुख्यमंत्री थीं.

इस बार केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को घोषणा पत्र समिति का संयोजक बनाया गया है. वे दलित नेता हैं. इस कमेटी का सह संयोजक किरोड़ी लाल मीना और घनश्याम तिवाड़ी को बनाया गया है. तिवाड़ी को वसुंधरा राजे का कट्टर विरोधी माना जाता है. वसुंधरा से इन बन के बाद उन्होंने पिछले चुनाव के समय बीजेपी छोड़ दी थी. तिवाड़ी और मीना दोनों राज्य सभा के सांसद हैं. पूर्व सांसद नारायण पंचारिया को चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.

केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया और राजेन्द्र राठौड़ जैसे बड़े नेताओं को भी इन दोनों कमेटियों में शामिल नहीं किया गया है. हाल के दिनों में जब भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान का दौरा किया है, वसुंधरा राजे को मंच पर पूरा मान सम्मान मिला है. अजमेर की रैली में तो उनका कुछ ख़ास ध्यान रखा गया. कांग्रेस नेता वसुंधरा राजे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच सांठ गांठ का भी आरोप लगा चुके हैं.

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