नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 मिशन राज्यसभा में थावरचंद का कमरा बना वॉररूम, अमित शाह ने संभाल रखी थी कमान

नई दिल्ली - अनुच्छेद 370 मिशन राज्यसभा में थावरचंद का कमरा बना वॉररूम, अमित शाह ने संभाल रखी थी कमान
| Updated on: 06-Aug-2019 10:22 AM IST
नई दिल्ली. आजादी के 70 साल बाद सोमवार को कश्मीर को भी दोहरे संविधान और कानूनों से आखिरकार आजादी मिल गई। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने की रणनीति में कोई अड़चन न आए, इसके लिए सरकार ने मुकम्मल तैयारी कर ली थी। राज्यसभा में बिल पेश करने के लिए संशोधित कार्य सूची आखिरी समय में जारी हुई। लेकिन, सदन की कार्यवाही शुरू होने से आधे घंटे पहले 10:30 बजे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता राज्यसभा में सदन के नेता थावरचंद गहलोत के कमरे में पहुंच चुके थे।

गहलोत का कमरा वाॅररूम बनाया गया था। यहां की कमान गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल रखी थी। यहीं से कानूनी बारीकियां तुषार मेहता सदन में भाजपा और सरकार की ओर से पक्ष रखने वाले वक्ताओं को चिट के जरिए भेज रहे थे। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, रेल मंत्री पीयूष गोयल, संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल और सांसद भूपेंद्र यादव का आना-जाना जारी रहा।

शाह ने लंच वॉररूम में ही किया 

कानूनी पक्ष को मेहता और प्रसाद देख रहे थे, तो गोयल, यादव और मेघवाल फ्लोर प्रबंधन में जुटे थे। विरोधी पक्ष के सांसदों के इस्तीफे की रणनीति पर भी काम चल रहा था। बिल पर बहस के दौरान शाह वॉररूम में चार बार पहुंचे। छोटी-छोटी बैठकें कर वापस सदन में जाते रहे। शाह ने लंच भी यहीं किया।

अमित शाह ने दो स्तर पर रणनीति बनाई थी 

भाजपा लंबे समय से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की रणनीति पर काम कर रही है। जब 2014 से भी बड़े बहुमत से केंद्र में मोदी सरकार बनी तो प्रधानमंत्री ने शपथ के दिन राष्ट्रपति भवन में ही तब के गृहमंत्री राजनाथ सिंह से कश्मीर में कुछ नया करने की रणनीति को लेकर करीब 9 मिनट तक बातचीत की थी। फिर अनुच्छेद 370 में फेरबदल का यह बिल इस साल फरवरी में ही लाने की योजना थी, लेकिन पुलवामा हमले के कारण इसे टालना पड़ा।

चुनाव बाद शाह गृहमंत्री बने तो तय हुआ कि 370 हटाने के कानूनी और राजनैतिक पहलुओं का खाका बनाया जाए। इस काम में तेजी आई 26 जुलाई को, जब सरकार ने संसद के मौजूदा सत्र की अवधि 10 दिन बढ़ाने का फैसला किया। शाह ने दो स्तर पर रणनीति को अंजाम दिया। पहला-कानूनी पहलुओं पर सॉलिसिटर जनरल और कानून मंत्री से चर्चा की। दूसरा-विधानसभा चुनाव से पहले इसी सत्र में बिल का फैसला।

मंत्रियों को भी इस बदलाव की भनक नहीं लगी

अमित शाह ने कानूनी पहलुओं के मद्देनजर कानूनन क्या-क्या विकल्प हो सकते हैं, इसकी तलाश की। राज्यसभा में आंकड़े जुटाने के लिए फ्लोर प्रबंधन समूह बनाया, जिसमें संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी, संसदीय कार्य राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन, रेलमंत्री पीयूष गोयल, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भाजपा राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव शामिल थे। इन मंत्रियों को भी नहीं बताया गया कि किस बिल के लिए उन्हें समर्थन जुटाना है। वो जिन दलों से बात कर रहे थे, उनको बस ये कहना था कि देश के लिए जरूरी बिल आना है। भाजपा सांसदों के लिए भी संसद सत्र के चलने तक बाकायदा तीन लाइन का व्हिप जारी कर दिया गया था।

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