Share Market News: शेयर बाजार का काल बना ड्रैगन, भारतीय बाजार से चूस लिए इतने लाख करोड़

Share Market News - शेयर बाजार का काल बना ड्रैगन, भारतीय बाजार से चूस लिए इतने लाख करोड़
| Updated on: 28-Feb-2025 06:45 PM IST

Share Market News: चीन ने वैश्विक बाजार में जबरदस्त कमबैक किया है, जिससे भारतीय शेयर बाजार को गहरा झटका लगा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की भारी बिकवाली इस बात की पुष्टि करती है कि निवेश का रुख भारत से हटकर चीन और यूरोप की ओर बढ़ रहा है।

चीन के पुनरुत्थान से भारत प्रभावित

कोविड-19 के बाद, चीन को लेकर वैश्विक स्तर पर नकारात्मक धारणा बनी हुई थी। इसका सीधा लाभ भारत को मिला, जहां आर्थिक गतिविधियों और शेयर बाजार में मजबूती देखी गई। इसी कारण एफपीआई ने भारतीय बाजार में बड़े पैमाने पर निवेश किया। हालांकि, बीते पांच महीनों में बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ गया है, जिससे भारतीय शेयर बाजार अस्थिर हो गया है। इसी अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर भी धीमी पड़ गई है।

एफपीआई ने निकाले 3.11 लाख करोड़ रुपये

अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच, एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से लगभग 3.11 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने इस गैप को भरने की पूरी कोशिश की है, लेकिन एफपीआई की निकासी इतनी अधिक रही कि बाजार में कमजोरी देखने को मिली।

बाजार से एफपीआई निकासी के प्रमुख कारण

  • आर्थिक विकास दर में गिरावट: हाल के महीनों में भारत की जीडीपी ग्रोथ कमजोर हुई है, जिससे एफपीआई निवेशकों का भरोसा डगमगाया है।

  • कंपनियों की लाभप्रदता में कमी: भारतीय कंपनियों ने मुनाफा तो कमाया, लेकिन उनकी प्रॉफिटेबिलिटी घटी, जिससे निवेशकों ने पैसा निकालना शुरू कर दिया।

  • बदलता वैश्विक निवेश परिदृश्य: चीन और यूरोप में बेहतर अवसरों के चलते एफपीआई का रुख इन बाजारों की ओर हुआ है।

कैसे एफपीआई ने भारतीय बाजार से पैसा निकाला?

  • अक्टूबर 2024: 94,017 करोड़ रुपये की निकासी

  • नवंबर 2024: भारी निकासी जारी रही

  • दिसंबर 2024: एफपीआई निवेश सकारात्मक रहा

  • जनवरी-फरवरी 2025: फिर से बिकवाली बढ़ी, जिससे 98,226 करोड़ रुपये बाजार से बाहर गए।

चीन का बेलआउट पैकेज और आर्थिक मजबूती

चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बड़े बेलआउट पैकेज जारी किए। नवंबर 2024 में चीन ने 839 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज घोषित किया, जिससे प्रांतीय सरकारों को कर्ज से राहत मिली। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कर्ज नियमों में ढील दी, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिला।

यूरोप भी बना एफपीआई का नया गंतव्य

भारत से निकला एफपीआई निवेश केवल चीन में ही नहीं, बल्कि यूरोप के कई देशों में भी पहुंच रहा है।

  • जर्मनी: 93 करोड़ डॉलर

  • स्विट्जरलैंड: 82.4 करोड़ डॉलर

  • फ्रांस: 65.8 करोड़ डॉलर

  • नीदरलैंड: 34.4 करोड़ डॉलर

  • चीन (फरवरी 2025): 57.3 करोड़ डॉलर

निष्कर्ष

भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई की बिकवाली और चीन-यूरोप की ओर बढ़ते निवेश से साफ है कि वैश्विक निवेशक भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर संशय में हैं। ऐसे में, भारतीय सरकार और नियामकों को नीतिगत सुधारों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि निवेश का प्रवाह वापस भारत की ओर आकर्षित किया जा सके।

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