Bollywood News: वो प्रोड्यूसर जिससे घबराते हैं एक्टर, बॉलीवुड को दी इतिहास रचने वाली फिल्में

Bollywood News - वो प्रोड्यूसर जिससे घबराते हैं एक्टर, बॉलीवुड को दी इतिहास रचने वाली फिल्में
| Updated on: 06-Sep-2025 06:00 PM IST

Bollywood News: कल, 5 सितंबर 2025 को, बॉलीवुड के दिग्गज निर्माता-निर्देशक विद्यु विनोद चोपड़ा का जन्मदिन था। विद्यु विनोद चोपड़ा उन चुनिंदा फिल्मकारों में से हैं जिन्होंने अपनी अनूठी कहानियों और जुनूनी कहानी कहने की शैली से भारतीय सिनेमा का चेहरा बदल दिया। उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ती हैं। विशेष रूप से, उन्होंने 1989 में आई अपनी फिल्म परिंदा के साथ बॉलीवुड में गैंगस्टर फिल्मों की नींव रखी, जिसने अपराध की दुनिया को पर्दे पर जीवंत कर दिखाया।

कश्मीर से मुंबई: एक प्रेरणादायक सफर

विद्यु विनोद चोपड़ा का जन्म 5 सितंबर, 1952 को श्रीनगर, कश्मीर में हुआ था। पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1976 में लघु फिल्म मर्डर एट मंकी हिल से की। इस फिल्म ने उन्हें भारत सरकार से राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया। इसके बाद, 1978 में उनकी दूसरी लघु फिल्म एन एनकाउंटर विद फेसेस ने भारत के बेसहारा बच्चों की मार्मिक कहानी को उजागर किया। इस फिल्म को 1979 के अकादमी पुरस्कारों में नामांकन मिला और 1980 के टैम्पियर अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव में ग्रांड प्रिक्स पुरस्कार जीता।

मुख्यधारा सिनेमा में कदम

1981 में, चोपड़ा ने अपनी पहली मुख्यधारा की हिंदी फिल्म सजाए मौत (डेथ रो) के साथ बॉलीवुड में प्रवेश किया। इसके बाद उनकी फिल्में खामोश, परिंदा, 1942: अ लव स्टोरी, करीब, और मिशन कश्मीर ने समीक्षकों और दर्शकों का दिल जीता। उनकी फिल्म परिंदा ने गैंगस्टर ड्रामा को भारतीय सिनेमा में एक नया आयाम दिया।

मुन्ना भाई और गांधीवाद की लहर

2003 में, चोपड़ा ने निर्देशन से हटकर अपनी कंपनी विनोद चोपड़ा फिल्म्स के बैनर तले मुन्ना भाई एमबीबीएस का निर्माण किया। राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित यह फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और सफल फिल्मों में से एक बनी। इसकी अगली कड़ी, लगे रहो मुन्ना भाई (2006), ने महात्मा गांधी के अहिंसा सिद्धांतों को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया, जिसने पूरे भारत में 'गांधीवाद' की एक नई लहर पैदा की।

समीक्षकों और दर्शकों की पसंद

चोपड़ा ने प्रदीप सरकार के साथ मिलकर परिणीता (2005) का निर्माण और लेखन किया, जिसे आलोचकों और दर्शकों ने खूब सराहा। 2007 में, उन्होंने एकलव्य: द रॉयल गार्ड के साथ निर्देशन में वापसी की। इसके बाद, राजकुमार हिरानी के साथ उनकी एक और फिल्म 3 इडियट्स (2009) ने बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रच दिया। यह फिल्म 2017 तक भारत की सबसे बड़ी हिट थी और इसे फिल्मफेयर पुरस्कार सहित कई सम्मान मिले। इसकी लोकप्रियता ताइवान और कोरिया जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी फैली।

नई प्रतिभाओं को मौका

चोपड़ा ने नए निर्देशकों को मौका देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने राजेश मापुस्कर के साथ फेरारी की सवारी (2012) का सह-लेखन और निर्माण किया, जिसे दर्शकों ने इसके भावनात्मक संदेश के लिए पसंद किया। 2014 में, पीके ने एक बार फिर उनकी और हिरानी की जोड़ी की सफलता को दोहराया।

हॉलीवुड में पदार्पण

2015 में, चोपड़ा ने ब्रोकन हॉर्सेज के साथ हॉलीवुड में निर्देशन की शुरुआत की, जिसका सह-निर्माण अमेरिकी कंपनी मैंडविल फिल्म्स ने किया। इसके बाद, उन्होंने वजीर (2016), संजू (2018), और एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा (2018) जैसी फिल्मों का निर्माण किया।

आज भी बसी हैं कहानियां

विद्यु विनोद चोपड़ा की फिल्में न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि सामाजिक संदेशों और भावनात्मक गहराई का प्रतीक भी हैं। उनकी कहानियां आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हुई हैं और भारतीय सिनेमा में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।

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