India-US Tariff War: कपड़ा उद्योग में टैरिफ की मार से मची खलबली, कई फैक्ट्रियां बंद!

India-US Tariff War - कपड़ा उद्योग में टैरिफ की मार से मची खलबली, कई फैक्ट्रियां बंद!
| Updated on: 27-Aug-2025 11:20 AM IST

India-US Tariff War: देश के प्रमुख कपड़ा उद्योग केंद्रों नोएडा, सूरत और तिरुपुर में संकट गहराता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के बाद कपड़ा उद्योग पर भारी दबाव पड़ गया है। अब कुल मिलाकर 50 फीसदी तक टैरिफ हो चुका है, जिससे भारतीय कपड़े अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगे हो गए हैं। इससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति कमजोर हुई है, और कई फैक्ट्रियां पूरी तरह बंद होने की कगार पर हैं।

भारतीय टेक्सटाइल सेक्टर का पिछड़ना

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी टैरिफ वृद्धि से कपड़ा, चमड़ा, सेरामिक्स, केमिकल, हैंडक्राफ्ट और कालीन जैसे कई उद्योग संकट में हैं। FIEO अध्यक्ष एस.सी. रल्हन के अनुसार, नोएडा, सूरत और तिरुपुर के कई टेक्सटाइल और एपरल निर्माताओं ने बढ़ती लागत के कारण उत्पादन रोक दिया है। उन्होंने कहा कि वियतनाम और बांग्लादेश जैसे कम लागत वाले देशों के मुकाबले भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता कमजोर पड़ रही है। इससे भारत का निर्यात सेक्टर पिछड़ रहा है, जिसका असर लाखों नौकरियों पर पड़ रहा है।

सीफूड निर्यात पर भी असर

टैरिफ वृद्धि का असर केवल कपड़ा उद्योग तक सीमित नहीं है। समुद्री उत्पादों, विशेष रूप से झींगा निर्यात, पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। अमेरिकी बाजार भारत के सीफूड निर्यात का लगभग 40 फीसदी हिस्सा है। FIEO के अनुसार, टैरिफ के कारण स्टोरेज की कमी, सप्लाई चेन में रुकावटें और किसानों की मुश्किलें बढ़ रही हैं। इसका असर न केवल निर्यातकों, बल्कि किसानों और छोटे व्यवसायों पर भी पड़ रहा है। FIEO ने सरकार से इस संकट से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है।

सरकार से वित्तीय राहत की अपील

FIEO ने सरकार से मांग की है कि वह निर्यातकों को एक्सपोर्ट क्रेडिट सपोर्ट और कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करे, ताकि माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) को राहत मिल सके। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) के चेयरमैन राकेश मेहरा ने भी सरकार से सहायता की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह संकट केवल निर्यातकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लाखों लोगों के रोजगार और भारत के 2030 तक 100 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य के लिए भी खतरा है। CITI ने एक साल के लिए ऋण की मूल राशि और ब्याज भुगतान पर स्थगन (moratorium) की मांग की है, ताकि उद्योगों को स्थिर होने का समय मिल सके।

भारत-अमेरिका बातचीत में समाधान की उम्मीद

FIEO अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने जोर देकर कहा कि भारत को अमेरिकी सरकार के साथ तत्काल बातचीत कर इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए। यह कदम निर्यातकों को बचाने और भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए आवश्यक है। नीतिगत फैसलों और वित्तीय सहायता के अभाव में कपड़ा और अन्य निर्यात उद्योगों की स्थिति और बिगड़ सकती है।

इस संकट से उबरने के लिए सरकार और उद्योगों को मिलकर त्वरित और प्रभावी कदम उठाने होंगे, ताकि भारतीय निर्यात सेक्टर अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धा को फिर से हासिल कर सके।

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