Russia-Ukraine War: 'यूरोप की सशस्त्र सेनाओं के निर्माण का आ गया समय'- जेलेंस्की का बड़ा बयान

Russia-Ukraine War - 'यूरोप की सशस्त्र सेनाओं के निर्माण का आ गया समय'- जेलेंस्की का बड़ा बयान
| Updated on: 15-Feb-2025 09:00 PM IST

Russia-Ukraine War: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति लाने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल के बीच एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि ‘यूरोप की सशस्त्र सेना’ बनाई जाए। जेलेंस्की ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस के खिलाफ यूक्रेन की लड़ाई ने यह साबित कर दिया है कि इस सेना के निर्माण के लिए आधार पहले से ही मौजूद हैं।

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में बोलते हुए जेलेंस्की ने कहा कि यूरोप इस संभावना को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि ‘‘अमेरिका यूरोप को उन मुद्दों पर ‘नहीं’ कह सकता है जो उसके लिए खतरा हैं।’’ उन्होंने आगे कहा कि कई यूरोपीय नेता लंबे समय से यह कह रहे हैं कि यूरोप को अपनी सेना की आवश्यकता है।

ट्रंप की भूमिका पर असंतोष

जेलेंस्की का यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध को जल्द समाप्त करने की प्रतिबद्धता जाहिर की थी। ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने इस मुद्दे पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और जेलेंस्की दोनों से बातचीत की है।

हालांकि, जेलेंस्की ट्रंप की इस पहल से असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। उनका मानना है कि अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन के मुद्दे पर कोई भी द्विपक्षीय वार्ता नहीं हो सकती है। जेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि इस वार्ता में यूक्रेन को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्हें आशंका है कि ट्रंप रूस को खुश करने के लिए ऐसा कोई फैसला ले सकते हैं जो यूक्रेन के हितों के खिलाफ हो सकता है।

यूरोप की सेना: क्या यह संभव है?

जेलेंस्की के इस बयान के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या यूरोप वास्तव में अपनी एक स्वतंत्र सशस्त्र सेना बना सकता है। अब तक यूरोपीय देशों की सुरक्षा में नाटो (NATO) की प्रमुख भूमिका रही है, जिसका नेतृत्व अमेरिका करता है। हालांकि, हाल के वर्षों में यूरोपीय संघ के कई नेताओं ने अपनी अलग सेना की जरूरत पर बल दिया है।

अगर यूरोप अपनी सेना बनाता है, तो इससे अमेरिका की वैश्विक भूमिका में बदलाव आ सकता है। यह सेना यूरोपीय देशों को अपनी रक्षा नीति पर अधिक नियंत्रण देगी और अमेरिका पर निर्भरता कम कर सकती है। हालांकि, यह पहल कितनी सफल होगी, यह भविष्य पर निर्भर करेगा।

निष्कर्ष

जेलेंस्की के इस बयान ने न केवल रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान की प्रक्रिया को प्रभावित किया है, बल्कि यूरोपीय सुरक्षा ढांचे को लेकर नई बहस भी छेड़ दी है। यूरोप में एक स्वतंत्र सैन्य बल के गठन की संभावनाएं कितनी व्यावहारिक हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। साथ ही, ट्रंप की मध्यस्थता की पहल पर जेलेंस्की की नाराजगी इस बात का संकेत है कि यूक्रेन अपनी स्वतंत्रता और सुरक्षा को लेकर कोई समझौता करने के मूड में नहीं है।

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