दुनिया: कमजोर हो रहा पृथ्‍वी का चुंबकीय क्षेत्र, सैटेलाइट और अंतरिक्ष यानों पर मंडरा रहा है खतरा

दुनिया - कमजोर हो रहा पृथ्‍वी का चुंबकीय क्षेत्र, सैटेलाइट और अंतरिक्ष यानों पर मंडरा रहा है खतरा
| Updated on: 22-May-2020 04:12 PM IST
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) का संकट अभी टला नहीं कि एक और खतरा दुनिया के सामने आ गया है। हम सभी ने पढ़ा है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र (Earth magnetic field) हमें सौर विकिरण (solar radiaton) से बचाता है। लेकिन यही चुंबकीय क्षेत्र अब कमजोर (Earth magnetic field Weakening) हो रहा है। 

रिपोर्ट की मानें तो, पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र, पिछली दो शताब्दियों में अपनी 10% तीव्रता खो चुका है।

बता दें कि पृथ्‍वी पर जीवन के लिए चुंबकीय क्षेत्र बहुत जरूरी है। चुंबकीय क्षेत्र पृथ्‍वी को सूर्य से होने वाले रेडिएशन और अंतरिक्ष से निकलने वाले आवेशित कणों (Charged Particles) से बचाता है। 

अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के बीच एक बड़ा इलाका जिसे दक्षिण अटलांटिक विसंगति (South Atlantic Anomaly) कहा जाता है, वहां इसमें तेजी से कमी देखी गई है। इस क्षेत्र में पिछले 50 वर्षों में एक बड़े हिस्से में काफी तेजी से कमी देखी गई है।

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के वैज्ञानिक स्वार्म डेटा, इनोवेशन एंड साइंस क्लस्टर (DISC) से विसंगति का अध्ययन करने के लिए ESA के स्वार्म सैटैलाइट के डेटा का उपयोग कर रहे हैं। ये स्वार्म सैटैलाइट पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को बनाने वाले विभिन्न चुंबकीय संकेतों को पहचान और माप सकते हैं। पिछले पांच वर्षों में, अफ्रीका के दक्षिण-पश्चिम की ओर कम तीव्रता का एक दूसरा केंद्र विकसित हुआ है। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि इसका मतलब यह हो सकता है कि विसंगति दो अलग-अलग कोशिकाओं में विभाजित हो सकती है।


चुंबकीय क्षेत्र के कमजोर पड़ने से उपग्रहों और अंतरिक्ष यान भी परेशानी झेल रहे हैं। इन्हें भी ग्रह की परिक्रमा करने में तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं।

दक्षिण अटलांटिक विसंगति पिछले एक दशक से दिखाई दे रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बड़ी तेजी के साथ विकसित हुई है। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज से डॉ। जुर्गन मत्ज़का ने कहा- 'हम बहुत भाग्यशाली हैं कि दक्षिण अटलांटिक विसंगति के विकास की जांच के लिए ऑर्बिट में स्वार्म सैटैलाइट हैं। इन परिवर्तनों के साथ पृथ्वी के कोर में होने वाली प्रक्रियाओं को समझना ही सबसे बड़ी चुनौती है।'

इसके पीछे जिस कारण का अनुमान सबसे ज्यादा लगाया जा रहा है वो ये है कि हो सकता है कि पृथ्वी के ध्रुव के पलटने का समय नजदीक आ रहा है।

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