Share Market Crash: अभी बाजार में और गिरावट की आशंका! मार्केट एक्सपर्ट ने कहा- इस कारण सेंटीमेंट कमजोर

Share Market Crash - अभी बाजार में और गिरावट की आशंका! मार्केट एक्सपर्ट ने कहा- इस कारण सेंटीमेंट कमजोर
| Updated on: 02-Mar-2025 05:00 PM IST

Share Market Crash: भारतीय शेयर बाजार में निकट भविष्य में और गिरावट आ सकती है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी सप्ताह में भारतीय बाजार की दिशा वैश्विक आर्थिक संकेतकों, अमेरिकी शुल्क नीति और विदेशी निवेशकों की गतिविधियों से निर्धारित होगी। निवेशकों की धारणा व्यापार शुल्क की चिंताओं और विदेशी कोषों की निकासी से प्रभावित हो सकती है।

बाजार में गिरावट का परिदृश्य

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर का कहना है कि निवेशकों की नजर अमेरिकी शुल्क नीति और बेरोजगारी दावों पर रहेगी। निकट भविष्य में बाजार कमजोर बना रह सकता है, लेकिन अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनियों के बेहतर नतीजे और वैश्विक व्यापार मोर्चे पर अनिश्चितता कम होने के बाद सुधार की उम्मीद की जा सकती है।

निफ्टी और सेंसेक्स में भारी गिरावट

फरवरी महीने में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 1,383.7 अंक यानी 5.88% गिर चुका है। वहीं, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 4,302.47 अंक यानी 5.55% नीचे आ गया है। 27 सितंबर 2024 को सेंसेक्स अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर 85,978.25 पर था, लेकिन तब से यह 12,780.15 अंक (14.86%) गिर चुका है। इसी तरह, निफ्टी अपने शीर्ष स्तर 26,277.35 से 4,152.65 अंक (15.80%) नीचे आ गया है। पिछले सप्ताह सेंसेक्स 2,112.96 अंक (2.80%) और निफ्टी 671.2 अंक (2.94%) की गिरावट के साथ बंद हुआ।

महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़ों पर नजर

आगामी सप्ताह में एचएसबीसी विनिर्माण और सेवा पीएमआई के आंकड़े जारी होंगे, जिन पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका का कहना है कि कमजोर वैश्विक संकेतकों और घरेलू स्तर पर सकारात्मक संकेतों की कमी के कारण बाजार में कमजोरी बनी रह सकती है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने दिसंबर तिमाही में 6.2% की दर से वृद्धि दर्ज की है, जो जुलाई-सितंबर तिमाही के 5.6% से बेहतर है, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 6.8% के अनुमान से कम है।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली और व्यापार युद्ध का असर

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा के अनुसार, बाजार फिलहाल संभावित व्यापार युद्ध की चिंता से जूझ रहा है। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली का दबाव बढ़ता जा रहा है।

हालांकि, जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। फरवरी में कुल जीएसटी संग्रह 9.1% बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जिससे घरेलू खपत में वृद्धि और आर्थिक पुनरुद्धार के संकेत मिलते हैं।

निष्कर्ष

भारतीय शेयर बाजार में हाल ही में गिरावट देखने को मिली है और निकट भविष्य में इसमें और कमजोरी आ सकती है। हालांकि, निवेशकों को अल्पकालिक अस्थिरता से घबराने की आवश्यकता नहीं है। लंबे समय में, आर्थिक सुधार और वैश्विक व्यापार में स्थिरता आने से बाजार में मजबूती लौट सकती है। निवेशकों को सतर्क रहकर आर्थिक संकेतकों और वैश्विक घटनाक्रमों पर ध्यान देना चाहिए।

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