Yes Bank News: एसएमबीसी और एनबीडी के Yes Bank में हिस्सेदारी खरीदने को लेकर फंसा पेंच

Yes Bank News - एसएमबीसी और एनबीडी के Yes Bank में हिस्सेदारी खरीदने को लेकर फंसा पेंच
| Updated on: 13-Sep-2024 09:00 AM IST
Yes Bank News: येस बैंक, भारत के प्रमुख प्राइवेट बैंकों में से एक, में हिस्सेदारी खरीदने की प्रक्रिया एक नए संकट का सामना कर रही है। खरीदारों के एक समूह द्वारा बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी की मांग के कारण इस डील की प्रगति में रुकावट आई है। इस मुद्दे पर जुड़े एक सूत्र ने हाल ही में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है।

खरीदारों की हिस्सेदारी की मांग

सूत्रों के अनुसार, येस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के लिए इच्छुक सभी बोलीदाता, जिनमें जापान का एसएमबीसी बैंक और अमीरात एनबीडी शामिल हैं, बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी पर जोर दे रहे हैं। यह स्थिति बैंक के लिए एक चुनौती उत्पन्न कर रही है, क्योंकि वर्तमान में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस बात से असंतुष्ट है कि कोई विदेशी संस्था येस बैंक जैसी बड़ी वित्तीय संस्था में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखे।

आरबीआई की चिंता

भारतीय रिजर्व बैंक की चिंता इस तथ्य पर आधारित है कि 51 प्रतिशत हिस्सेदारी एक विदेशी संस्था के पास होने से बैंक की वित्तीय स्थिरता और नियंत्रण पर प्रभाव पड़ सकता है। आरबीआई के नियमों के अनुसार, किसी भी बैंक में एक इकाई के पास अधिकतम 26 प्रतिशत हिस्सेदारी ही हो सकती है, और इससे अधिक हिस्सेदारी के मामलों में उसे कम करने के लिए एक निश्चित समयसीमा दी जाती है।

डील पर प्रगति में रुकावट

सूत्रों ने बताया कि इस डील से संबंधित ‘उपयुक्त और उचित’ पहलुओं पर कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है। एसएमबीसी और अमीरात एनबीडी जैसे बड़े खरीदार, येस बैंक में नियंत्रण हिस्सेदारी के लिए सीधे आरबीआई से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन दोनों कंपनियों ने येस बैंक का स्वामित्व नियंत्रण देने के लिए तैयार होने का संकेत नहीं दिया है।

एसबीआई की स्थिति

येस बैंक को वित्तीय संकट से उबारने के लिए 2020 में एक विशेष योजना के तहत एसबीआई (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) के नेतृत्व में कर्जदाताओं के एक समूह ने बैंक में हिस्सेदारी खरीदी थी। इस समय एसबीआई के पास येस बैंक में 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है। एसबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है, जो कि इस डील की जटिलताओं को और बढ़ा सकती है।

भविष्य की दिशा

अगर इस स्थिति में कोई समाधान नहीं निकलता है, तो येस बैंक की हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया में देरी हो सकती है। खरीदारों और आरबीआई के बीच जारी बातचीत का परिणाम बैंक के भविष्य की दिशा को तय करेगा। विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी की मांग और मौजूदा नियामक नियमों के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है, जिसे जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता है।

येस बैंक के भविष्य के लिए इस डील की सफलतापूर्वक समाप्ति महत्वपूर्ण होगी, लेकिन मौजूदा जटिलताओं के मद्देनजर, इसमें समय लग सकता है। बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए यह प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण है।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।