Benjamin Netanyahu: 'ईरान में ऐसी जगह नहीं जहां हमारी पहुंच नहीं'- UN के मंच से PM नेतन्याहू की चेतावनी

Benjamin Netanyahu - 'ईरान में ऐसी जगह नहीं जहां हमारी पहुंच नहीं'- UN के मंच से PM नेतन्याहू की चेतावनी
| Updated on: 28-Sep-2024 01:00 AM IST
Benjamin Netanyahu: संयुक्त राष्ट्र में शुक्रवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने विश्व के नेताओं को स्पष्ट किया कि उनका देश लेबनान से लगी सीमा पर हिजबुल्लाह के खिलाफ अपने लक्ष्यों को हासिल करने तक हमले जारी रखेगा। उनके इस बयान ने क्षेत्रीय युद्ध को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष विराम की उम्मीदों को कमजोर कर दिया है। नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल अब लेबनान से रोजाना दागे जा रहे रॉकेटों को सहन नहीं कर सकता।

इजरायल का दृष्टिकोण

नेतन्याहू ने अपने बयान में जोर देकर कहा, “इजरायल को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है। हम हिजबुल्लाह पर हमले जारी रखेंगे, जब तक हमारे सभी उद्देश्य पूरे नहीं हो जाते।” उन्होंने यह भी उदाहरण दिया कि यदि अमेरिका की सीमाओं पर आतंकवादी गतिविधियाँ होतीं, तो वहां की सरकार कब तक उसे सहन करती? उनके अनुसार, इजरायल एक साल से इस असहनीय स्थिति को बर्दाश्त कर रहा है और अब इसे रोकने का समय आ गया है।

हमास के खिलाफ कार्रवाई का बचाव

नेतन्याहू ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हुए हमास के हमले के बाद की स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा, “मेरा देश अपना अस्तित्व बचाने के लिए युद्ध लड़ रहा है।” उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने देश की बदनामी के खिलाफ बोलते हुए कहा कि इजरायल हमेशा शांति चाहता है, लेकिन उसे अपनी सुरक्षा के लिए लड़ना पड़ रहा है।

ईरान के प्रति कड़ा संदेश

नेतन्याहू ने ईरान को भी अपने भाषण में टारगेट किया। उन्होंने कहा, “यदि आप हम पर हमला करेंगे, तो हम भी जवाब देंगे।” उन्होंने क्षेत्र की कई समस्याओं के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि विश्व को ईरान को खुश करने की नीति को समाप्त करना चाहिए। नेतन्याहू ने यह भी उल्लेख किया कि “ईरान में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां इजरायल की पहुंच नहीं है,” यह बयान मध्य पूर्व में इजरायल की व्यापक रणनीति को दर्शाता है।

आंकड़ों की गंभीरता

नेतन्याहू ने कहा कि यह युद्ध केवल तब समाप्त हो सकता है जब हमास आत्मसमर्पण करे, अपने हथियार डाल दे और सभी बंधकों को रिहा कर दे। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इजरायल के हमलों में 41,500 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं और 96,000 से अधिक घायल हुए हैं। यह संख्या संघर्ष की गंभीरता को उजागर करती है और भविष्य में स्थिति को और भी जटिल बनाती है।

निष्कर्ष

नेतन्याहू का बयान एक बार फिर यह दर्शाता है कि इजरायल की स्थिति कितनी मजबूत और स्पष्ट है, लेकिन साथ ही, यह भी दिखाता है कि क्षेत्र में शांति की संभावनाएँ कितनी पतली हैं। जब तक संघर्ष का समाधान नहीं निकलता, तब तक युद्ध का खतरा बना रहेगा, और दोनों पक्षों को अपने-अपने लक्ष्यों के प्रति दृढ़ रहना होगा।

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