Israel-Iran War: मध्य पूर्व एशिया में एक बार फिर युद्ध के बादल गहराते नजर आ रहे हैं। अमेरिका और ईरान के बीच लंबे समय से रुके परमाणु समझौते को लेकर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी बीच शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर जोरदार सैन्य कार्रवाई करते हुए चार न्यूक्लियर और दो सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया है। इस हमले ने पूरे क्षेत्र में अस्थिरता की आशंका को और गहरा कर दिया है।
इजरायल की इस सैन्य कार्रवाई को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ नाम दिया गया है, जिसे शुक्रवार सुबह अंजाम दिया गया। इस हमले में ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बयान देते हुए कहा, “ईरान का परमाणु कार्यक्रम इजरायल के अस्तित्व के लिए सीधा खतरा बन गया था, जिसे अब और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
नेतन्याहू के अनुसार, हमले का मुख्य उद्देश्य ईरान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को पंगु बनाना था। इजरायल के अनुसार, यह एक “रक्षात्मक कदम” था जिसे मजबूरी में उठाया गया।
इस हमले के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ईरान से तुरंत परमाणु समझौते की शर्तें मानने की अपील की, साथ ही चेतावनी दी कि अगर कूटनीतिक वार्ता असफल रही तो अमेरिका खुद भी हस्तक्षेप करने को मजबूर होगा। ट्रंप ने साफ किया कि “ईरान को अब शांति का रास्ता चुनना ही होगा, वरना अंजाम बेहद खतरनाक होंगे।”
इजरायली हमले के बाद ईरान ने भी तगड़ा पलटवार किया है। ईरानी सैन्य प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि यह हमला ईरान की संप्रभुता पर सीधा हमला है और इसका जवाब दिया जाएगा। जवाबी कार्रवाई में ईरान ने 100 से अधिक ड्रोन इजरायल की ओर दागे, जिन्हें इजरायली वायुसेना ने सीमा पार ही नष्ट कर दिया।
ईरान ने अमेरिका को भी चेताया है कि अगर उसने इस जंग में सीधी भूमिका निभाई, तो परिणाम वैश्विक होंगे।
क्षेत्रीय विश्लेषकों का मानना है कि अगर अमेरिका और ईरान के बीच बातचीत जल्द बहाल नहीं होती, तो यह संघर्ष व्यापक युद्ध का रूप ले सकता है, जिसका असर न सिर्फ मध्य पूर्व बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने भी दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है।