US Tariff War: स्मार्टफोन और लैपटॉप पर नहीं लगेगा जवाबी टैरिफ- ट्रंप ने लिया यू-टर्न

US Tariff War - स्मार्टफोन और लैपटॉप पर नहीं लगेगा जवाबी टैरिफ- ट्रंप ने लिया यू-टर्न
| Updated on: 13-Apr-2025 06:00 AM IST

US Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने टैरिफ नीति में बड़ा बदलाव करते हुए इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर लगाए जाने वाले संभावित जवाबी शुल्क (रेसिप्रोकल टैरिफ) को हटा लिया है। यह निर्णय उस समय आया है जब पहले अमेरिका ने चीन को छोड़कर बाकी देशों पर 90 दिनों के लिए टैरिफ से राहत दी थी। अब ट्रंप प्रशासन ने स्मार्टफोन्स, लैपटॉप्स और सेमीकंडक्टर जैसे कई प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक सामानों को टैरिफ की सूची से बाहर कर दिया है।

इस कदम से एपल, सैमसंग, डेल जैसी वैश्विक कंपनियों को बड़ी राहत मिली है, जो अपने अधिकांश उत्पाद चीन और अन्य एशियाई देशों में तैयार करवाती हैं। टैरिफ लागू होने से इन उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती थीं, जिससे न केवल कंपनियों का मुनाफा घटता, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी महंगे दाम चुकाने पड़ते।

ट्रंप के यू-टर्न के पीछे की वजह

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह यू-टर्न फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की ओर से दी गई चेतावनियों के बाद आया है। विशेषज्ञों ने आगाह किया था कि यदि स्मार्टफोन्स, लैपटॉप्स और चिप्स जैसे उत्पादों पर टैरिफ लगाया गया, तो इससे न केवल अमेरिकी टेक इंडस्ट्री को नुकसान होगा, बल्कि वैश्विक सेमीकंडक्टर संकट और गंभीर हो सकता है।

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पहले से ही आपूर्ति की कमी से जूझ रही है, और ट्रंप सरकार पर इस सेक्टर की कंपनियों ने दबाव डाला कि नए टैरिफ उनके लिए विनाशकारी साबित हो सकते हैं।

किन उत्पादों को मिली राहत?

अमेरिका ने जिन उत्पादों को टैरिफ से छूट दी है, उनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

  • स्मार्टफोन्स

  • लैपटॉप्स और ऑटोमैटिक डाटा प्रोसेसिंग मशीनें

  • सेमीकंडक्टर चिप्स और उनके कंपोनेंट्स

  • राउटर और नेटवर्क स्विचेस

  • NAND फ्लैश मेमोरी

  • ट्रांजिस्टर

  • माउंटेड पीजोइलेक्ट्रिक क्रिस्टल

  • इलेक्ट्रॉनिक मशीनों में उपयोग होने वाले पुर्जे

इनके अलावा भी कई अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद हैं जिन्हें इस जवाबी शुल्क से बाहर किया गया है।

आगे का असर

इस फैसले का सबसे बड़ा लाभ अमेरिकी उपभोक्ताओं को मिलेगा, जिन्हें अब स्मार्टफोन्स और लैपटॉप्स जैसे जरूरी उपकरणों के लिए अधिक कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी। वहीं, टेक कंपनियों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।

हालांकि, यह फैसला चीन के साथ चल रही व्यापारिक खींचतान को लेकर ट्रंप सरकार की रणनीति में बदलाव के संकेत भी दे सकता है। जहां एक ओर टैरिफ एक हथियार की तरह इस्तेमाल हो रहा है, वहीं दूसरी ओर आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप को बार-बार अपने रुख में बदलाव करने पड़ रहे हैं।

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