Soha Ali Khan: बॉलीवुड में ऐसी कई हस्तियां हैं जिनका ताल्लुक बड़े और मशहूर परिवारों से रहा है, लेकिन उनकी अपनी जिंदगी की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं होती. आज हम बात कर रहे हैं ऐसी ही एक अभिनेत्री की, जिनके पिता भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके हैं, मां दिग्गज अभिनेत्री थीं, और पति, भाई व भाभी भी बॉलीवुड का हिस्सा हैं. यह अभिनेत्री कोई और नहीं, बल्कि सोहा अली खान हैं.
सोहा अली खान का जन्म एक शाही और प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. उनके पिता, मंसूर अली खान पटौदी, पटौदी रियासत के 9वें नवाब थे और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके थे. उनके पास गुरुग्राम में स्थित पटौदी पैलेस था, जिसकी कीमत आज लगभग 800 करोड़ रुपये आंकी जाती है. इस शाही हवेली का मालिकाना हक अब सोहा के भाई और बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान के पास है. सोहा की मां, शर्मिला टैगोर, हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री रही हैं, जिन्होंने कई यादगार फिल्मों में काम किया है. इसके अलावा, सोहा के पति कुणाल खेमू और भाभी करीना कपूर खान भी बॉलीवुड के चर्चित चेहरे हैं.
हाल ही में एक साक्षात्कार में सोहा ने अपनी जिंदगी के एक अनछुए पहलू का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि एक समय था जब वह मुंबई के लोखंडवाला में किराए के फ्लैट में रहती थीं, जिसका किराया 17 हजार रुपये प्रति माह था. यह सुनकर हैरानी होती है कि इतने संपन्न और शाही परिवार से होने के बावजूद सोहा ने किराए के फ्लैट में रहना चुना. इसके पीछे की वजह उन्होंने खुद बताई, "मुझे एक स्वतंत्र जिंदगी जीना था. मैं अपने फैसले खुद लेना चाहती थी और इसके लिए मुझे अपनी कमाई पर निर्भर होना था."
सोहा ने बताया कि उस समय वह एक बैंक में नौकरी करती थीं, जहां उन्हें सालाना 2 लाख 20 हजार रुपये की सैलरी मिलती थी. इस सैलरी का एक बड़ा हिस्सा वह किराए पर खर्च कर देती थीं. फिर भी, उन्होंने इस जीवन को चुना ताकि वह अपनी शर्तों पर जिंदगी जी सकें और अपने माता-पिता की सहमति के बिना अपने सपनों को पूरा कर सकें.
सोहा ने खुलासा किया कि बैंक में नौकरी करने के दौरान ही उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया. हालांकि, उन्हें पता था कि उनके माता-पिता शायद इस फैसले से खुश नहीं होंगे. लेकिन अपनी आर्थिक स्वतंत्रता के दम पर वह अपने फैसले लेने में सक्षम थीं. सोहा ने कहा, "मैं खुद कमा रही थी, इसलिए मुझे किसी और की बात सुनने की जरूरत नहीं थी."
सोहा ने अपने करियर की शुरुआत ‘दिल मांगे मोर’ (2004) जैसी फिल्मों से की और बाद में ‘रंग दे बसंती’ (2006) और ‘तुम मिले’ (2008) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता. उनकी सादगी और स्वतंत्र सोच ने उन्हें बॉलीवुड में एक अलग पहचान दी.
सोहा अली खान की यह कहानी हमें सिखाती है कि चाहे आपका ताल्लुक कितने बड़े घराने से हो, अपनी पहचान और स्वतंत्रता के लिए मेहनत करना बेहद जरूरी है. शाही परिवार की बेटी होने के बावजूद सोहा ने अपने दम पर जिंदगी जीने का हौसला दिखाया. उनकी यह जिद और आत्मनिर्भरता आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.