Porn: ऐसे शूट होती हैं पोर्न फिल्में... महिला पोर्न स्टार ने खुद बताई एक-एक बात

Porn - ऐसे शूट होती हैं पोर्न फिल्में... महिला पोर्न स्टार ने खुद बताई एक-एक बात
| Updated on: 23-May-2020 04:04 PM IST
Porn Shoot: तो आइये जानते हैं कि पोर्न फिल्म की शूटिंग के दौरान क्या - क्या मुश्किलें आती हैं। पोर्न स्टार्स को भी हमारी और आपकी तरह शर्म आती है। 10-12 लोगों के सामने पोर्न फिल्म शूट करना आसान नहीं होता है। वे लगातार उस शर्म से लड़ते हैं। अगर यकीन नहीं होता तो ये जान लीजिए कि अपने-अपने पार्टनर्स के साथ जो उनका असल सेक्स होता है वो बिलकुल निजी एक्ट होता है।

एक छोटी सी पोर्न फिल्म की भी शूटिंग भी घंटों चलती है जिसका पूरा सेट होता है, कैमरा होते हैं, टेक्नीशियन होते हैं, मेकअप के लोग होते हैं। इस दौरान जब सिनेमैटोग्राफर कैमरा सेट करने लगे या दूसरी टेक्नीकल चीजें हो रही हों तब इंतजार करते हुए संबंधित मेल एक्टर को पूरे समय तक इरेक्टेड रहना होता है। और ऐसा कर पाना आमतौर पर संभव या आसान नहीं होता है।

एक पुरुष पोर्न स्टार होने का सबसे कठिन हिस्सा इरेक्शन है। उन्हें निर्देशक के आदेश पर पीनस को सामान्य करना होता है और सेक्सुअल एक्ट के लिए रेडी कर लेना होता है। इरेक्शन को भी शूटिंग के दो-तीन घंटों के दौरान बनाए रखना होता है। ये सब बहुत ही कठिन परिस्थितियों के बीच किया जाता है। जैसे कि अगर वह अपनी फीमेल को-स्टार के प्रति आकर्षित नहीं है तो भी। या फिर वो सख़्त जमीन पर, ठंडे/गर्म मौसम में एक्ट कर रहे हैं। परफॉर्म करने के लिए उन्हें बहुत फिट रहना होता है। पॉर्न में कुल मिलाकर ये सबसे कठिन काम हो जाता है।

लगातार कई घंटों का शूट चलता है और सेक्सुअल एक्ट भी कई तरह के होते हैं और उत्तेजना के दौरान शरीर की पूरी ऊर्जा शरीर के निचले हिस्से में जाती है। उसी दबाव से यौन सुख पैदा होता है, उसी दबाव से शौच क्रिया पूरी होती है। तो दूसरी वजह से भोजन से परहेज किया जाता है। ब्लोजॉब के दौरान गले के भीतर तक पीनस जाता है जिससे आंतें सिकुड़ती हैं और आहारनली में भोजन हो तो उल्टी हो सकती है।

एक ही फिल्म की शूटिंग के दौरान एक से ज्यादा बार इजेक्युलेशन यानी वीर्य स्खलन करना पड़ सकता है। वो भी तब जब डायरेक्टर कहे या कहानी में इसकी जरूरत हो। इसके लिए वायाग्रा या दवाओं के इस्तेमाल को प्रोत्साहित नहीं किया जाता क्योंकि इसके बाद चेहरा लाल पड़ जाता है जो कैमरा पर ठीक नहीं लगता।

यहां तक कि जब कोई लड़का या लड़की पॉर्न फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश करना चाहते हैं तो उनका स्क्रीन टेस्ट होता है जो आसान नहीं होता। इसमें उन्हें 10, 50 या उससे ज्यादा मिनट तक मास्टरबेट करना होता है। वो भी बिना कोई पॉर्न फिल्म देखे। वो भी ऑडिशन लेने वाले के सामने। इसके अलावा उन्हें सीवी के तौर पर अपनी सेक्स टेप भी साथ लानी होती हैं। ज्यादातर फिल्मों के शूट में पॉर्न स्टार्स कॉन्डम यूज़ नहीं करते। इसी कारण इन पेशेवरों के एचआईवी टेस्ट पॉजिटिव आते हैं। अगर कम उम्र में रोग पकड़ में आ जाए तो डॉक्टरी मदद से वे तंदुरुस्त हो जाते हैं।

दर्शक फिल्म देखकर उत्तेजित और आनंद में होता है लेकिन असली शूट में पॉर्न एक्टर्स सुखी नहीं होते। मेल और फीमेल परफॉर्मर अगर ऐसे पोज़ में खड़े या लेटे होते हैं जहां वे बिलकुल भी कंफर्टेबल नहीं हैं तो भी उन्हें लगातार वैसे ही रहना होता है। वो इसलिए क्योंकि कैमरा पर उसी एंगल से वे खूबसूरत या उत्तेजक लग रहे हैं। एक्ट के अंत में ये भी बहुत बार होता है कि उनके अंग छिल चुके होते हैं।

फीमेल स्टार्स को पीरियड्स हों और पेन हो रहा हो तब भी शूट करना पड़ता है। बहुत बार लगातार सात-सात दिन काम करते हैं। संडे को छुट्टी के दिन भी। इस दौरान बीमार हों या घर में कोई परेशानी हो, कैमरे पर खुश होकर काम करना ही पड़ता है।

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