Union Budget 2020: इस शख्स ने तैयार किया था देश का पहला बजट, जानें क्या हुआ था उस साल
Union Budget 2020 - इस शख्स ने तैयार किया था देश का पहला बजट, जानें क्या हुआ था उस साल
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Updated on: 01-Feb-2020 12:05 PM IST
बजट (Union Budget 2020) को लेकर पूरा देश उम्मीद लगाए हुए है। हर वर्ग की अपनी-अपनी आकांक्षाएं हैं। हर साल बजट का दिन देश के लिए बड़ा दिन होता है। इसी दिन पता चलता है कि देश की आर्थिक (Economy) दशा क्या है और आम जनजीवन कितना सुधर रहा है। इस बीच बहुत कम लोग ये जानते हैं कि देश में पहला बजट लाने वाला शख्स कौन था? ये जानना दिलचस्प होगा कि देश में पहली बार कब बजट पेश किया गया और इसके पीछे किसका दिमाग था।कब पेश हुआ देश का पहला बजट भारत में पहला बजट पेश करने वाला शख्स स्कॉटलैंड का था। उसका नाम था- जेम्स विल्सन। जेम्स विल्सन ने पहली बार बजट को लेकर दिमाग लगाया था और देश का पहला बजट पेश किया था। पहली बार 1860 में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान पहला बजट पेश किया गया था।कौन था जेम्स विल्सन जेम्स विल्सन की वाणिज्य और अर्थशास्त्र पर गजब की पकड़ थी। जेम्स विल्सन ने ही मशहूर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की स्थापना की थी। जेम्स ने ही अर्थशास्त्र की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली मैगजीन द इकोनॉमिस्ट शुरू की थी।जेम्स विल्सन हैट बनाया करता था। हालांकि उसका मन वाणिज्य और अर्थशास्त्र में रमता था। उसने इन विषयों की खूब पढ़ाई की। अर्थशास्त्र की समझ की वजह से ब्रिटिश सरकार में वायसराय लॉर्ड कैनिंग ने उसे अपने काउंसिल में शामिल कर लिया। जेम्स विल्सन को ब्रिटिश पार्लियामेंट का सदस्य भी चुना गया। जेम्स को यूके ट्रेजरी का फायनांस सेक्रेट्ररी और बोर्ड ऑफ ट्रेड का वाइस प्रेसिडेंट भी बनाया गया।भारत में कैसे पेश हुआ पहला बजटजेम्स विल्सन पहली बार 1859 में भारत आया था। उस वक्त ब्रिटिश हुकूमत भयानक आर्थिक संकट से जूझ रही थी। 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश हुकूमत का खजाना खाली था। सेना पर अत्यधिक खर्च होने की वजह से काफी आर्थिक नुकसान हुआ था। विल्सन ही वो शख्स था, जो इस मुश्किल वक्त से ब्रिटिश हुकूमत को निकाल सकता था। उसे बाजार की बहुत बारीक समझ थी।जेम्स विल्सन पहली बार लेकर आया इनकम टैक्सजेम्स विल्सन ने 1860 में पहला बजट पेश किया। विल्सन ही वो शख्स था, जो इनकम टैक्स लेकर आया। उसके इस कदम पर काफी विवाद हुआ था। इससे ब्रिटिश हुकूमत को फायदा तो हुआ लेकिन इसकी वजह से व्यापारियों और जमींदारों के बीच नाराजगी फैल गई।जेम्स विल्सन का तर्क था कि ब्रिटिश हुकूमत व्यापारियों को व्यापार करने का बेहतर माहौल दे रही है, इसलिए उनसे कुछ रकम तो वसूली जानी चाहिए। जेम्स विल्सन को उदारवादी प्रवृति का माना जाता था। उसकी मैगजीन द इकोनॉमिस्ट ने साम्राज्यवाद पर संदेह जताया था। 1862 में उसने तर्क दिया कि ब्रिटिश आधिपत्य वाले इलाकों को कुछ आजादी मिलनी चाहिए, तभी फायदा होगा।हालांकि उसका विश्वास था कि गोरे लोगों की ये जिम्मेदारी बनती है कि वो असभ्य नस्लों का मार्गदर्शन करें, उन्हें अपने संरक्षण में रखें और आगे बढ़ने में मदद करें। ये एक तरह से ब्रिटेन के दूसरे देशों को अपने कब्जे में लेने को सही ठहराना था।
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