मध्य प्रदेश: माथे पर तिलक और आंखों में सूरमा, सीरियल किलर इस गैंगस्टर से था प्रेरित

मध्य प्रदेश - माथे पर तिलक और आंखों में सूरमा, सीरियल किलर इस गैंगस्टर से था प्रेरित
| Updated on: 04-Sep-2022 04:59 PM IST
मध्य प्रदेश का सीरियल किलर पुलिस के कब्जे में है। अब उसे लेकर कई नई बातों का पता चल रहा है। यह जानकारी सामने आई है कि यह सीरियल किलर कुख्यात 'कोहिनूर' गैंग चलाने वाले गैंगस्टर 'दुर्लभ' से काफी प्रभावित था और उसी की तरह बनना चाहता था। हम अपनी इस रिपोर्ट में आपको बताएंगे कि आखिर कुख्यात गैंगस्टर दुर्लभ कौन था और क्या है उसकी असली कहानी। 

दुर्लभ ने बाकायदा एक सोशल मीडिया पेज पर लिखा था,  'किसी भी विवाद के लिए सम्पर्क करें।' इतना ही नहीं उसने हथियारों के साथ कई पोस्ट भी किये थे। शिव गोंड उर्फ हल्कू सीरियल किलर छह दिन में चार गार्ड्स की हत्या करने वाला 19 साल का आरोपी उज्जैन के कोहिनूर गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप को ही अपना रोल मॉडल मानता है। 

वो दुर्लभ कश्यप के वीडियो देख कर उसी की तरह फेमस होने की ख्वाहिश रखता था। इसी सनक में उसने 4 गार्ड्स की हत्या कर दी। हल्कू ने पुलिसिया पूछताछ में बताया कि वह उज्जैन के गैंगस्टर दुलर्भ कश्यप के VIDEO देखा करता था। वह उसके जैसा ही बनना चाहता था। सितंबर 2020 के गैंगवार में मारा गया गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप कभी सोशल मीडिया पर काफी मशहूर हुआ करता था।

दुर्लभ को था बिल्ली पालने का शौक

उज्जैन जिले के थाना क्षेत्र जीवाजीगंज के अब्दालपुरा में 8 नवंबर 2000 को पैदा हुआ था दुर्लभ कश्यप। उसकी मां सरकारी टीचर हैं और पिता बिजनेसमैन। दुर्लभ का अपनी मां से लगाव था इसलिए वह मां के साथ उज्जैन में ही रहता था। पिता इंदौर में रहते थे। दुर्लभ उज्जैन में ही रहकर पढ़ाई कर रहा था। वह बिल्लियां पालने का शौकीन था। 15 साल की उम्र से उसने हथियारों के साथ सोशल मीडिया पर तस्वीरें डालनी शुरू कर दी थी। वो लोगों को धमकाता था और सोशल मीडिया पर अपनी बदमाशी का प्रचार करता था।

'कोहिनूर गैंग' बना फैलाई दहशत 

16 साल की उम्र में उसने कोहिनूर गैंग बनाया और फेसबुक पर लिखा कि किसी भी विवाद के निपटारे के लिए संपर्क करें। एक वक्त था जब सोशल मीडिया पर उसके फॉलोवर्स लगातार बढ़ रहे थे। इससे उसे मजबूती मिली और वह शहर में छोटी-मोटी वारदातें करने लगा। दुर्लभ ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर कुख्यात बदमाश और नामी अपराधी लिख रखा था। दुर्लभ का गैंग किसी कॉरपोरेट कंपनी की तरह काम करती थी। 

गैंग का खास ड्रेस कोड

गैंग का अपना स्टाइल और ड्रेस कोड था। गैंग के सदस्य माथे पर तिलक, आंखों में सूरमा और कंधे पर  गमछा रखते थे। गैंग के इस स्टाइल से युवा प्रभावित हो रहे थे। जब उज्जैन शहर में गैंग की बदमाशी बढ़ने लगी, तो पुलिस ने इन्हें पकड़ना शुरू किया। 27 अक्टूबर 2018 को दुर्लभ को 23 साथियों के साथ पकड़ा गया था। तब नाबालिग होने पर उसे बाल संप्रेक्षण गृह में रखा गया। किशोर न्याय बोर्ड ने 24 अप्रैल 2019 को उसे इंदौर भेज दिया। वह बालिग हुआ तो पुलिस ने फिर कार्रवाई की। पुलिस के डर से 1 साल से ज्यादा भैरवगढ़ जेल उज्जैन में रहा। उस समय उज्जैन के पुलिस अधीक्षक सचिन अतुलकर हुआ करते थे। जेल में पूछताछ के दौरान उन्होंने दुर्लभ को देखकर कहा था तू जेल में ही सेफ है, उम्र से ज्यादा दुश्मनी पाल ली है, बाहर निकलेगा तो कोई मार देगा। 

18 साल की उम्र में 9 केस दर्ज

18 साल की उम्र में उसके खिलाफ 9 केस दर्ज हो गए थे। वह जेल से भी गैंग चलाता रहा। 2 साल जेल में बंद रहने के बाद कोरोना काल के दौरान 2020 में उसकी रिहाई हो गई। वह कुछ दिन इंदौर में रहकर मां के पास उज्जैन लौट आया। 

खून से लथपथ मिली लाश

जेल से बाहर आकर वह फिर एक्टिव हो गया। उसके दुश्मन भी उसे मारने का पूरा प्लान बना चुके थे। 6 सितंबर 2020 की रात 2 बजे वह दोस्तों के साथ उज्जैन के हैलावाड़ी इलाके में चाय की दुकान पर पहुंचा था। सामने खड़े शहनवाज नाम के युवक से कहासुनी होने पर उसने गोली चला दी थी। 

गोली युवक की गर्दन के पास से होकर निकली थी। शहनवाज के साथियों ने दुर्लभ को घेरकर चाकू से उसके पेट, पीठ, चेहरे, गर्दन पर ताबडतोड 34 वार किये थे। पुलिस को उसकी डेड बॉडी खून से लथपथ मिली थी।

कुछ दिन बाद दुर्लभ की हत्या करने वाले शहनवाज ने जेल की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। दुर्लभ पर एक फ़िल्म भी बन रही है जिसका एक पोस्टर भी हाल ही लॉन्च हुआ है।

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