Shardiya Navratri: शारदीय नवरात्रि, जो 22 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक मनाई जा रही है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। आज, 23 सितंबर 2025, नवरात्रि का दूसरा दिन है, जो मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। मां ब्रह्मचारिणी तप, शुद्धता, और ज्ञान की प्रतीक हैं। इस दिन भक्त विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। यह रंग शुद्धता, शांति, और त्याग का प्रतीक है, जो उनके ब्रह्मचर्य और तपस्वी स्वरूप को दर्शाता है। इसलिए, नवरात्रि के दूसरे दिन भक्तों को सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप किया जाता है:
बीज मंत्र: ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः
वैदिक मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः
इन मंत्रों का जाप करने से भक्तों को तप, निष्ठा, और ज्ञान की प्राप्ति होती है, साथ ही मां की विशेष कृपा भी मिलती है।
मां ब्रह्मचारिणी को मोगरे का फूल या कोई भी सफेद रंग का फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है। मोगरे का फूल उनकी शुद्धता और तपस्या के प्रति समर्पण को दर्शाता है। ऐसा करने से मां की कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को चीनी या मिश्री से बनी मिठाइयाँ जैसे खीर, बर्फी, या पंचामृत का भोग लगाया जाता है। यह भोग चढ़ाने से भक्तों को लंबी आयु, अच्छा स्वास्थ्य, और समृद्धि प्राप्त होती है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा निम्नलिखित विधि से की जाती है:
स्नान और तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान की स्थापना: घर के मंदिर में मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और कलश की पूजा करें।
दीपक प्रज्वलन: शुद्ध घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती प्रज्वलित करें।
देवी का अभिषेक: गंगाजल से मां का अभिषेक करें, फिर उन्हें फूल, सिंदूर, और अक्षत अर्पित करें।
भोग अर्पण: मां को चीनी या मिश्री से बना भोग, फल, और मिठाई चढ़ाएं।
मंत्र जाप: मां ब्रह्मचारिणी के बीज मंत्र और वैदिक मंत्र का जाप करें।
आरती: कपूर से मां की आरती करें और पूजा को पूर्ण करें।
प्रसाद वितरण: पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद को परिवार के सदस्यों में बांट दें।
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।।
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. Zoom News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)