US Census Layoffs: फ्री में काम करने वालों की भी ट्रंप सरकार ने कर दी छंटनी, चेयरमैन बोले- फैसले पर हैरान हूं

US Census Layoffs - फ्री में काम करने वालों की भी ट्रंप सरकार ने कर दी छंटनी, चेयरमैन बोले- फैसले पर हैरान हूं
| Updated on: 05-Mar-2025 01:00 PM IST

US Census Layoffs: अमेरिका में विभिन्न सरकारी विभागों में कर्मचारियों की लगातार हो रही छंटनी के बीच एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूएस सेंसस ब्यूरो ने मंगलवार को कई जनसांख्यिकीविदों, सांख्यिकीविदों और एडवोकेसी ग्रुप लीडर्स की बाहरी सलाहकार समितियों को भंग कर दिया। ये समितियाँ सांख्यिकीय एजेंसी को तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करती थीं। खास बात यह है कि इन सलाहकार समितियों में काम कर रहे जितने भी एक्सपर्ट्स थे, वे अपनी सेवाओं के बदले में कोई वेतन नहीं ले रहे थे। सरकार की तरफ से उन्हें सिर्फ यात्रा और ठहरने के कुछ भत्ते दिए जा रहे थे।

सिर्फ यात्रा और ठहरने का खर्च लेते थे एक्सपर्ट्स

एसोसिएटेड प्रेस के साथ साझा किए गए ईमेल के मुताबिक, जनगणना वैज्ञानिक सलाहकार समिति और 2030 जनगणना सलाहकार समिति के सदस्यों को मंगलवार को एक नोटिस मिला जिसमें कहा गया कि वाणिज्य सचिव हॉवर्ड ल्यूटनिक ने निर्धारित किया है कि समितियों का काम ‘पूरा हो गया है।’

नेशनल एसोसिएशन ऑफ लैटिनो इलेक्टेड एंड अप्वाइंटेड ऑफिसर्स एजुकेशनल फंड ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि नस्लीय, जातीय और अन्य आबादी पर राष्ट्रीय सलाहकार समिति को भी समाप्त कर दिया गया है। इन समितियों के सदस्य सिर्फ यात्रा और ठहरने का खर्च लेते थे और इसके अलावा कोई वेतन नहीं लेते थे।

‘समितियों को खत्म करने का फैसला समझ से बाहर’

जनगणना ब्यूरो की देखरेख का जिम्मा वाणिज्य विभाग का है और इसका नेतृत्व ट्रंप द्वारा नियुक्त हॉवर्ड ल्यूटनिक करते हैं। 2030 की जनगणना सलाहकार समिति के सदस्यों को एक साल से भी कम समय पहले नियुक्त किया गया था। इसके अध्यक्ष आर्टुरो वर्गास ने एक इंटरव्यू में कहा कि वे समितियों को खत्म करने के इस फैसले से बेहद हैरान हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि यह जनगणना ब्यूरो के लिए एक बड़ा झटका है।' वर्गास के मुताबिक, ब्यूरो को इन बाहरी एक्सपर्ट्स से बहुत मदद मिलती थी और वे कई बार कार्यप्रणाली में सुधार करने में अहम भूमिका अदा करते थे।

यूएस सेंसस ब्यूरो के निर्णय के प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर असर पड़ेगा। बाहरी विशेषज्ञों द्वारा प्रदान की जाने वाली तकनीकी और सांख्यिकीय सलाह अब उपलब्ध नहीं होगी, जिससे जनगणना की सटीकता पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, अल्पसंख्यक और अन्य संवेदनशील समूहों का प्रतिनिधित्व भी कम हो सकता है।

सरकार के इस फैसले की कई संगठनों और विशेषज्ञों ने आलोचना की है। उनका मानना है कि यह कदम सांख्यिकी प्रणाली को कमजोर कर सकता है और भविष्य में जनगणना प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। अब देखना यह होगा कि इस फैसले के खिलाफ क्या कोई कदम उठाया जाता है या नहीं।

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