India-US Tariff: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समीकरणों में बीते कुछ हफ्तों में अहम मोड़ आया है। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर देने का फैसला भारतीय उद्योगों के लिए राहत लेकर आया है। इस घोषणा के बाद न सिर्फ शेयर बाजार में सकारात्मक लहर देखने को मिली, बल्कि रुपये में भी मजबूती दर्ज की गई। लेकिन अब असली सवाल यह है कि 90 दिनों बाद क्या होगा?
जानकारों के मुताबिक, भारत सरकार ने इन 90 दिनों को केवल प्रतीक्षा काल नहीं, बल्कि रणनीतिक तैयारी के रूप में लिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम द्विपक्षीय व्यापार समझौता (Bilateral Trade Agreement - BTA) को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है। सरकार का लक्ष्य है कि इस समझौते को जुलाई से पहले अंतिम रूप दिया जाए ताकि अमेरिका द्वारा फिर से टैरिफ लागू करने की नौबत न आए।
इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूती देना और टैरिफ जैसे अवरोधों को न्यूनतम करना है। यह समझौता भारत के कई सेक्टर्स – जैसे कृषि, टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, और आईटी – के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल सकता है।
भारत ने द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के मामले में अन्य देशों की तुलना में अग्रणी भूमिका निभाई है। दोनों देश इस वर्ष सितंबर-अक्टूबर तक समझौते के पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इस समझौते के जरिए बाइलेटरल ट्रेड को मौजूदा 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2030 तक 500 अरब डॉलर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है।
इस प्रक्रिया में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और उच्च-स्तरीय यात्राओं के जरिए लगातार संवाद बनाए रखा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह तत्परता अमेरिका के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा है कि भारत किसी भी समझौते में देश और जनता के हितों से समझौता नहीं करेगा। उन्होंने दो टूक कहा कि भारत 'बंदूक की नोक पर' कोई समझौता नहीं करता और यह प्रक्रिया जल्दबाज़ी में नहीं की जाएगी।
गोयल ने कहा कि भारत की सभी व्यापार वार्ताएं "भारत पहले" के दृष्टिकोण से की जा रही हैं और इनका लक्ष्य है 2047 तक विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करना।
टैरिफ टालने का यह 90 दिनों का अंतराल, भारत के लिए एक रणनीतिक खिड़की है। अगर भारत इस अवधि में अमेरिका के साथ ऐसा समझौता कर पाता है जो दोनों पक्षों के लिए लाभकारी हो, तो यह सिर्फ टैरिफ से राहत नहीं, बल्कि एक नए व्यापार युग की शुरुआत भी हो सकती है।
भारत का अब तक का रुख स्पष्ट है – देशहित सर्वोपरि है। लेकिन साथ ही यह भी दिख रहा है कि भारत वैश्विक मंच पर एक परिपक्व और आत्मविश्वासी आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है, जो न सिर्फ चुनौतियों का सामना कर सकती है, बल्कि उन्हें अवसरों में भी बदल सकती है।