Trump-Putin Meeting: भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई ऐतिहासिक बैठक का स्वागत किया है। यह बैठक फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण शुरू करने के बाद पहली अमेरिका-रूस शिखर वार्ता थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक बयान में कहा, "भारत पुतिन-ट्रंप के बीच बातचीत का स्वागत करता है। शांति की दिशा में उनका नेतृत्व अत्यंत सराहनीय है। बातचीत और कूटनीति से ही आगे का रास्ता निकल सकता है। दुनिया यूक्रेन में चल रहे संघर्ष का जल्द अंत देखना चाहती है।"
भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की द्वारा दी गई शुभकामनाओं के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर एक संदेश साझा किया। उन्होंने लिखा, "हम भारत और यूक्रेन के बीच और भी घनिष्ठ संबंध बनाने की संयुक्त प्रतिबद्धता को बहुत महत्व देते हैं। हम यूक्रेन में अपने मित्रों के लिए शांति, प्रगति और समृद्धि से भरे भविष्य की कामना करते हैं।" जेलेंस्की ने अपने संदेश में भारत से युद्ध समाप्त करने के प्रयासों में योगदान देने की अपील की थी, ताकि यूक्रेन की स्वतंत्रता और संप्रभुता सुरक्षित रहे।
अलास्का में लगभग तीन घंटे तक चली इस बैठक में दोनों नेताओं ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर चर्चा की, जिसमें अब तक दस लाख से अधिक लोग मारे गए या घायल हुए हैं। ट्रंप ने कहा कि दोनों पक्ष "कई बिंदुओं" पर सहमत हुए, लेकिन कुछ मुद्दों पर पूर्ण सहमति नहीं बनी। पुतिन ने एक ऐसी समझ की बात कही जो यूक्रेन में शांति और सुरक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकती है। हालांकि, दोनों नेताओं ने युद्ध को समाप्त करने के लिए ठोस कदमों का खुलासा नहीं किया।
भारत ने इस शिखर सम्मेलन पर कड़ी नजर रखी, खासकर इसलिए क्योंकि ट्रंप ने रूस से तेल खरीद के कारण भारत पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। हाल ही में, ट्रंप प्रशासन ने रूसी ऊर्जा उत्पादों की खरीद के लिए भारत पर 25% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में भारत ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर समान टैरिफ लागू किया। ट्रंप का तर्क है कि भारत रूसी तेल को खुले बाजार में बेचकर लाभ कमा रहा है, जिससे रूस की युद्ध मशीन को वित्तीय सहायता मिल रही है। भारत ने इसका जवाब देते हुए अमेरिका और यूरोपीय संघ पर प्रतिबंधों में दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा की प्रतिबद्धता दोहराई।
प्रधानमंत्री मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद से दोनों देशों के नेताओं, पुतिन और जेलेंस्की, के साथ नियमित संपर्क बनाए रखा है। उन्होंने पिछले साल दोनों देशों की यात्राएं कीं और शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत पर जोर दिया। मोदी ने स्पष्ट किया कि "बंदूक की आड़ में बातचीत सफल नहीं हो सकती और युद्ध के मैदान में समाधान नहीं निकल सकता।" भारतीय अधिकारियों ने बताया कि नई दिल्ली ने मॉस्को और कीव के बीच संदेशों के आदान-प्रदान में मध्यस्थ की भूमिका निभाई है, हालांकि भारत ने रूस की कार्रवाइयों की सार्वजनिक निंदा से परहेज किया है।
ट्रंप और जेलेंस्की ने घोषणा की है कि वे सोमवार को वाशिंगटन में मुलाकात करेंगे, जिसके बाद पुतिन के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक हो सकती है। जेलेंस्की ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा, "यूक्रेन शांति स्थापित करने के लिए पूरी तरह तैयार है।" भारत ने इस त्रिपक्षीय बैठक की संभावना का स्वागत किया है और शांति वार्ता में रचनात्मक भूमिका निभाने की अपनी तत्परता दोहराई है।