लाउडस्पीकर विवाद: राज ठाकरे की चेतावनी के बाद उद्धव सरकार का बड़ा फैसला, अनुमति के बाद ही कर सकेंगे इस्तेमाल

लाउडस्पीकर विवाद - राज ठाकरे की चेतावनी के बाद उद्धव सरकार का बड़ा फैसला, अनुमति के बाद ही कर सकेंगे इस्तेमाल
| Updated on: 18-Apr-2022 11:18 AM IST
महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर विवाद के बीच गृह विभाग की ओर से बड़ा फैसला किया गया है। अब राज्य में पुलिस की इजाजत के बाद ही धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति होगी।

महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल आज इस संबंध में डीजीपी व पुलिस कमिश्नरों के साथ भी बैठक करने वाले हैं। माना जा रहा है कि वह इस संबंध में दिशा निर्देश जारी करेंगे। इसके अलावा राज्य की कानून व्यवस्था पर वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ भी बैठक करेंगे। 

ठाकरे ने दिया था अल्टीमेटम

दरअसल, महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर विवाद इन दिनों छाया हुआ है। मनसे मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रही है। बीते दिनों मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने शिवाजी पार्क में एक रैली को संबोधित करते हुए मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग की थी। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर तीन मई तक मुद्दे पर राज्य सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो हम मस्जिदों के बाहर अपने लाउडस्पीकर लगाएंगे और पूरी आवाज में हनुमान चालीसा बजाएंगे। इसके बाद से राज्य में सांप्रदायिक तनाव की आशंका गहराती जा रही है। 

पीएफआई ने किया था प्रदर्शन

राज ठाकरे के बयान के बाद पीएफआई ने भी प्रदर्शन किया था। इस दौरान पीएफआई मुंब्रा अध्यक्ष अब्दुल मतीन शेखानी ने एक रैली को संबोधित करते हुए भड़काऊ भाषण दिया था। उन्होंने कहा था कि 'अगर आपने एक भी लाउडस्पीकर छुआ, तो पीएफआई सबसे आगे दिखेगी।' इस दौरान शेखानी ने राम नवमी जुलूसों के दौरान मध्यप्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में हुई हिंसा के खिलाफ भी प्रदर्शन किया। उन्होंने दावा किया कि देश में मुसलमानों को दबाया जा रहा है और कहा कि कुछ लोग मुंब्रा का माहौल खराब करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'अगर आप हमको छेडेंगे तो हम आपको छोड़ेंगे नहीं।'

फरार चल रहे हैं शेखानी

भड़काऊ भाषण के बाद मुंबई पुलिस ने शेखानी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। हालांकि, तभी से वह फरार चल रहा है।मुंबई पुलिस ने बताया कि मतीन शेखानी की गिरफ्तारी के लिए दो टीमें गठित की गई हैं, पुलिस उनकी लोकेशन पता लगाने की कोशिश कर रही है। यह मामला महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 37(3) और आईपीसी की धारा 188 के तहत अवैध जनसभा आयोजित करने के लिए दर्ज किया गया था। यहां मतीन ने कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था। 


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