Unclaimed Funds India: देश में 80,000 करोड़ रुपये की लावारिस संपत्ति: जानें क्यों पड़ा है यह पैसा बिना दावेदार
Unclaimed Funds India - देश में 80,000 करोड़ रुपये की लावारिस संपत्ति: जानें क्यों पड़ा है यह पैसा बिना दावेदार
देशभर में लगभग 80,000 करोड़ रुपये की एक चौंकाने वाली राशि लावारिस पड़ी है, जिसका कोई दावेदार नहीं है। यह पैसा बैंकों, बीमा कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स में जमा है, लेकिन इसके असली हकदारों को अक्सर इसकी जानकारी ही नहीं होती। यह स्थिति हजारों परिवारों की मेहनत की कमाई को बिना उपयोग के छोड़ देती है, जिससे एक बड़ी वित्तीय और सामाजिक समस्या पैदा होती है। यह केवल पैसे की कमी का मामला नहीं है, बल्कि। जानकारी, संचार और उचित नियोजन के अभाव का परिणाम है।
**लावारिस खजाना: कहां जमा है यह पैसा?
यह विशाल राशि विभिन्न वित्तीय संस्थानों में फैली हुई है और बैंकों में यह अक्सर निष्क्रिय खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट या ऐसे खातों में जमा होती है, जिनका लंबे समय से कोई लेनदेन नहीं हुआ है। बीमा कंपनियों के पास यह उन पॉलिसियों के रूप में पड़ी है, जिनकी परिपक्वता अवधि पूरी हो। चुकी है या जिनके धारक की मृत्यु हो गई है, लेकिन परिवार को इसकी जानकारी नहीं है। इसी तरह, म्यूचुअल फंड्स में भी ऐसे निवेश पड़े हैं, जिनके लाभांश या मोचन राशि का दावा नहीं किया गया है और यह पैसा अपने असली मालिकों या उनके कानूनी उत्तराधिकारियों का इंतजार कर रहा है, जो अक्सर इस बात से अनजान होते हैं कि उनके परिवार के किसी सदस्य ने ऐसा निवेश किया था।
विशेषज्ञों की राय और चौंकाने वाले आंकड़े
सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर और सहज मनी के फाउंडर अभिषेक कुमार ने। सोशल मीडिया पर इस हैरान करने वाले आंकड़े को साझा किया है। उन्होंने बताया कि यह पैसा उन लोगों का है, जिनके परिवारों को इस बात की जानकारी ही नहीं कि उनके किसी सदस्य के नाम पर बैंक खाते, बीमा पॉलिसी या म्यूचुअल फंड्स में रकम जमा है और यह आंकड़ा केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि उन हजारों परिवारों की कहानी है जो अपनी मेहनत की कमाई से वंचित हैं। यह स्थिति वित्तीय साक्षरता और जागरूकता की कमी को उजागर करती है, जहां लोग निवेश तो करते हैं, लेकिन उसके बाद की प्रक्रियाओं और परिवार को सूचित करने के महत्व को नजरअंदाज कर देते हैं।
**पैसा लावारिस क्यों रह जाता है?
विशेषज्ञों के अनुसार, यह समस्या मुख्य रूप से जानकारी और संचार की कमी का परिणाम है और कई बार परिवार के सदस्यों को यह पता ही नहीं होता कि किसी व्यक्ति ने कहां और कितना निवेश किया था। अचानक मृत्यु या किसी व्यक्ति के अक्षम हो जाने की स्थिति में, परिवार को उसके बैंक खाते, फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंड निवेश की जानकारी न होने से यह रकम सालों तक बिना दावे के पड़ी रहती है। वित्तीय मामलों को निजी रखने की प्रवृत्ति भी इस समस्या को बढ़ाती है, जहां लोग अपने निवेश के बारे में परिवार के सदस्यों से खुलकर बात नहीं करते। यह गोपनीयता, हालांकि व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के लिए होती है,। लेकिन अनजाने में उत्तराधिकारियों के लिए एक बड़ी बाधा बन जाती है।लापरवाही के गंभीर परिणाम
अभिषेक कुमार ने बताया कि कई बार लोगों की लापरवाही की वजह से उनका पैसा फंस जाता है। इसमें सबसे बड़ी लापरवाही जरूरी कागजी काम पूरा न करना या बैंक खाते और निवेश में नॉमिनी का नाम न जोड़ना है। नॉमिनी का नाम न होने से, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद, परिवार को पैसा निकालने के लिए लंबी और जटिल कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है और उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक महिला को तब जाकर पता चला कि उनके पति के म्यूचुअल फंड में 15 लाख रुपये जमा हैं, जब उनकी टीम ने महिला का पूरा निवेश रिकॉर्ड तैयार करने में मदद की। यह दर्शाता है कि कितनी बड़ी राशि केवल जानकारी के अभाव में पड़ी रह सकती है। एक अन्य उदाहरण में, एक परिवार को अपने बैंक खाते से पैसा निकालने में दो साल लग गए, सिर्फ इसलिए क्योंकि खाते में नॉमिनी का नाम नहीं था। यह स्थिति न केवल वित्तीय नुकसान का कारण बनती है, बल्कि परिवारों के लिए भावनात्मक और कानूनी तनाव भी पैदा करती है।सिर्फ वसीयतनामा काफी नहीं
अभिषेक कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ वसीयतनामा बना लेना पर्याप्त नहीं है। वसीयत तभी कानूनी रूप से मान्य होती है जब वह उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत तैयार की जाए और उसमें सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की गई हों। उन्होंने सलाह दी कि वसीयत के साथ मेडिकल सर्टिफिकेट, साइन की वीडियो रिकॉर्डिंग और दस्तावेज का रजिस्ट्रेशन जरूर कराएं, ताकि परिवार को बाद में किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े। एक अपंजीकृत या ठीक से गवाह न की गई वसीयत को अदालत में चुनौती दी जा सकती है, जिससे उत्तराधिकारियों के लिए दावा प्रक्रिया और भी जटिल हो जाती है। वसीयत को एक जीवित दस्तावेज के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसे समय-समय पर अपडेट। किया जाए, खासकर जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे शादी, तलाक या बच्चों के जन्म के बाद।