Vladimir Putin: यूक्रेन पर रूस के बढ़ते हमलों के बीच अमेरिका ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। डोनाल्ड ट्रंप ने स्वयं इस घेराबंदी की कमान संभाल ली है। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, पुतिन को घुटनों पर लाने के लिए अमेरिका ने पिछले 24 घंटों में बैक-टू-बैक तीन बड़े फैसले लिए हैं। इनमें यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति, स्पाई जेट को सक्रिय करना और रूस पर सख्त प्रतिबंधों का प्रस्ताव तैयार करना शामिल है। ब्रिटिश अखबार टेलीग्राफ का दावा है कि यदि ट्रंप चाहें, तो वह 24 घंटों में पुतिन को घुटनों पर ला सकते हैं। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
व्हाइट हाउस में ट्रंप की पुतिन के प्रति नाराजगी के तुरंत बाद, सीएनएन ने उनका एक पुराना वीडियो प्रसारित किया, जिसमें ट्रंप कहते हैं, "मैंने पुतिन को चेतावनी दी थी कि अगर आप युद्ध करते हैं, तो हम सीधे मॉस्को पर बम गिराएंगे।" टेलीग्राफ के अनुसार, जिस तरह अमेरिका ने ईरान पर बी-2 बम से हमला किया, उससे रूस की हवाई रक्षा भी अब सुरक्षित नहीं है।
ईरान के पास रूस का ही एस-300 एयर डिफेंस सिस्टम था, लेकिन वह अमेरिका के बी-2 बम वाले फाइटर जेट को स्कैन नहीं कर सका। हाल ही में यूक्रेन ने रूस के भीतरी इलाकों में ड्रोन हमले किए, जिनमें मॉस्को भी शामिल है। ऐसे में अमेरिकी हमले से रूस का बचना मुश्किल है।
ट्रंप यदि चाहें, तो बी-2 बम आसानी से रूस पर गिरा सकते हैं। अमेरिका के पास 20 से अधिक बी-2 बम हैं, जिन्हें दुनिया का सबसे शक्तिशाली बम माना जाता है। पुतिन के पास इस तरह का कोई बम नहीं है। हालांकि रूस के पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन उन्हें उपयोग करना पुतिन के लिए आसान नहीं होगा।
युद्ध के तरीके बदल रहे हैं, और अमेरिका अब हवाई हमलों पर जोर दे रहा है। बिना एक भी सैनिक भेजे, उसने ईरान को बैकफुट पर धकेल दिया। ग्लोबल फायर पावर के अनुसार, रूस के पास भले ही सैनिकों की संख्या अमेरिका से अधिक हो, लेकिन लड़ाकू विमानों और मिसाइलों के मामले में वह काफी पीछे है।
लड़ाकू विमान: अमेरिका के पास लगभग 13,000 लड़ाकू विमान हैं, जबकि रूस के पास इनकी संख्या करीब 4,300 है।
हेलिकॉप्टर: अमेरिका के पास 5,843 हेलिकॉप्टर हैं, जबकि रूस के पास 1,651।
एयरबेस: अमेरिका के पास दुनियाभर में करीब 15,000 एयरबेस हैं, जबकि रूस के पास केवल 904।
युद्ध के लिए हथियारों के साथ-साथ गुप्त जानकारी और आर्थिक संसाधनों की जरूरत होती है। वर्तमान में दोनों में अमेरिका रूस से कहीं आगे है। रूस पिछले तीन वर्षों से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है, जिसके कारण उस पर कई प्रतिबंध लगे हैं।
अमेरिका के पास फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, इजराइल और जापान जैसे शक्तिशाली सहयोगी हैं, जो सैन्य ताकत में अग्रणी हैं। वहीं, रूस के पास उत्तर कोरिया को छोड़कर कोई विश्वसनीय सहयोगी नहीं है। चीन और ईरान भले ही रूस का समर्थन करते हों, लेकिन हालिया ईरान युद्ध में ईरान के अलग-थलग पड़ने से यह स्पष्ट है कि रूस को भी अपने सहयोगियों का साथ मिलना मुश्किल होगा।
यदि अमेरिका रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाता है, तो पुतिन एशियाई और यूरोपीय देशों को तेल नहीं बेच पाएंगे। साथ ही, चीन रूस को सेमीकंडक्टर की आपूर्ति नहीं कर पाएगा, जिससे रूसी मिसाइलें बेकार हो जाएंगी। ऐसी स्थिति में पुतिन के पास अमेरिका के सामने ज्यादा विकल्प नहीं बचेंगे।