Union Budget 2026: केंद्रीय बजट 2026-27: 1 फरवरी को बजट पेश होने पर सस्पेंस बरकरार, जानें क्या है वजह

Union Budget 2026 - केंद्रीय बजट 2026-27: 1 फरवरी को बजट पेश होने पर सस्पेंस बरकरार, जानें क्या है वजह
| Updated on: 20-Dec-2025 06:30 AM IST
केंद्रीय बजट 2026-27 की प्रस्तुति तिथि को लेकर इस समय अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। आमतौर पर, साल 2017 से यह परंपरा रही है कि केंद्रीय बजट हर साल 1 फरवरी को सुबह 11 बजे पेश किया जाता है। यह परंपरा तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुरू की थी। हालांकि, आगामी वर्ष 2026 में 1 फरवरी को रविवार पड़ रहा है, जिसके कारण इस बार बजट की तारीख को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। रविवार को सरकारी कार्यालयों और शेयर बाजारों में छुट्टी होती है, जिससे इस दिन बजट पेश करने में व्यावहारिक दिक्कतें आ सकती हैं।

बजट की तारीख पर सस्पेंस क्यों?

बजट की तारीख पर सस्पेंस का मुख्य कारण 1 फरवरी 2026 को रविवार का होना है। भारत में, रविवार को सभी सरकारी दफ्तर और शेयर बाजार बंद रहते हैं। बजट पेश करने की प्रक्रिया में संसद की कार्यवाही, वित्त मंत्री का भाषण और उसके बाद मीडिया और बाजार की प्रतिक्रिया शामिल होती है, जिसके लिए सामान्य कार्यदिवस का होना आवश्यक माना जाता है। इसके अतिरिक्त, 1 फरवरी 2026 को संत रविदास जयंती भी है, जो एक सार्वजनिक अवकाश हो सकता है। इन दोनों कारणों से, 1 फरवरी को बजट पेश करना मुश्किल लग। रहा है, जिससे सरकार को वैकल्पिक तारीखों पर विचार करना पड़ रहा है।

संभावित वैकल्पिक तिथियां

सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्रालय और सरकार के बीच इस बात पर विचार-विमर्श चल रहा है कि बजट को किस दिन पेश किया जाए और संभावित विकल्पों में 31 जनवरी, शनिवार को बजट पेश करना या फिर 2 फरवरी, सोमवार को इसे प्रस्तुत करना शामिल है। 31 जनवरी को शनिवार होने के बावजूद, पहले भी कई बार शनिवार को बजट पेश किया जा चुका है, जैसा कि 2025 में अंतरिम बजट के दौरान हुआ था और 2 फरवरी सोमवार होने के कारण यह एक सामान्य कार्यदिवस होगा, जो बजट प्रस्तुति के लिए उपयुक्त माना जा सकता है। हालांकि, 1 फरवरी को बजट पेश करने की परंपरा को बनाए रखने पर भी विचार किया जा सकता है, भले ही वह रविवार हो।

परंपरा और उसके अपवाद

साल 2017 से पहले, केंद्रीय बजट फरवरी के अंतिम कार्यदिवस पर पेश किया जाता था। अरुण जेटली ने इस परंपरा को बदलते हुए 1 फरवरी की तारीख तय की थी, ताकि मंत्रालयों को बजट आवंटन के अनुसार खर्च करने के लिए अधिक समय मिल सके और यह बदलाव एक महत्वपूर्ण सुधार था जिसका उद्देश्य वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना था। हालांकि, इस बार रविवार के कारण यह परंपरा टूट सकती है। यह पहली बार होगा जब 1 फरवरी को रविवार पड़ रहा। है, जिससे सरकार के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है।

पहले भी बदली हैं तारीखें?

यह पहली बार नहीं है जब बजट की तारीख वीकेंड पर पड़ रही हो और हालांकि, पहले जब ऐसा हुआ है, तो तारीख बहुत कम ही बदली गई है। भारत सरकार ने अक्सर बजट पेश करने की तारीख शनिवार को ही रखी है, ताकि यह संसद के कैलेंडर के मुताबिक हो। उदाहरण के तौर पर, पिछले साल निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट 2025-26 शनिवार को पेश किया था, जो कि 1 फरवरी 2025 को था और इससे पहले, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 28 फरवरी 2015 को बजट पेश किया था, जो शनिवार था। 2016 में भी उन्होंने 27 फरवरी को शनिवार के दिन बजट पेश किया था। इसके अलावा, 3 मार्च 2001 (शनिवार) और 28 फरवरी 2004 (शनिवार) को भी बजट पेश किया गया था। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि शनिवार को बजट पेश करना असामान्य नहीं है, लेकिन रविवार को बजट पेश करने का कोई सीधा पूर्व उदाहरण नहीं है।

अंतिम निर्णय कौन लेगा?

बजट की अंतिम तारीख का निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिया जाएगा। यह समिति सरकार के विधायी एजेंडे और संसद के सत्रों से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेती है। समिति सभी पहलुओं पर विचार करेगी, जिसमें परंपरा, व्यावहारिक चुनौतियां, सार्वजनिक अवकाश और संसद का कार्य कैलेंडर शामिल हैं। एक बार जब समिति कोई निर्णय ले लेती है, तो उसे सार्वजनिक किया जाएगा, जिससे केंद्रीय बजट 2026-27 की प्रस्तुति तिथि को लेकर बना सस्पेंस समाप्त हो जाएगा।

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