China-US: चीन को एक और झटका, भारत के बाद अमेरिका भी बैन कर सकता है चीनी एप

China-US - चीन को एक और झटका, भारत के बाद अमेरिका भी बैन कर सकता है चीनी एप
| Updated on: 07-Jul-2020 12:45 PM IST
China-US: भारत की ओर से डिजिटल स्ट्राइक करने के बाद अब अमेरिका भी चीन की कुछ एप को अपने देश में बैन करने पर विचार कर रहा है। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका निश्चित तौर पर चीन की एप को बैन करने की तैयारी कर रहा है, इसमें मशहूर एप टिक-टॉक भी शामिल होगी।

माइक पोम्पियो को इस बयान से चीन को दोहरा झटका लग सकता है। इससे पहले ही भारत चीन की 59 एप बैन कर चुका है, जिसे लेकर कंपनियां लगातार भारत सरकार से बात कर रही हैं लेकिन सरकार की ओर से अभी तक फैसले में बदलाव करने का कोई संकेत नहीं मिला है।

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेना के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत ने चीन की 59 एप बैन करने का फैसला लिया था। सभी ने इस फैसले को चीन के खिलाफ डिजिटल स्ट्राइक बताया था। चीनी एप पर बैन लगने के बाद भारतीय एप जमकर डाउनलोड्स हुए। टिक-टॉक की जगह चिंगारी और धकधक, कैमस्कैनर की जगह स्कैन करो एप और शेयर इट की जगह शेयर चैट जैसे तेजी से डाउनलोड होने लगे। 

भारत में टिक-टॉक बैन होने के बाद छोटी वीडियो बनाने वाली भारतीय एप की ओर लोगों का झुकाव बढ़ा। इंस्टाग्राम ने रील की टेस्टिंग भारत में शुरू कर दी है जिसके बाद माना जा रहा है कि जल्द ही यह एप भारत में लॉन्च हो जाएगी। रील एक तरह से इंस्टाग्राम का इनबिल्ड फीचर होगा, इसके लिए अलग एप डाउनलोड नहीं करनी पड़ेगी।

टिकटॉक बैन होने के बाद कई भारतीय एप की लोकप्रियता बढ़ गई है। इस सेगमेंट में मित्रों, चिंगारी जैसे भारतीय एप्स खूब डाउनलोड किए जा रहे हैं। 

चीन के खिलाफ पुरानी नीति काम नहीं नहीं आई, दूसरा रास्ता अपनाना होगा : पोम्पियो

वहीं पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका को चीन के साथ अब अलग तरीके से पेश आना होगा क्योंकि अधिक राजनीतिक स्वतंत्रता मिलने की उम्मीद में उन्हें आर्थिक अवसर प्रदान करने की पुरानी नीति काम नहीं आई। 

पोम्पियो ने कहा, 'यह सिद्धांत कि अधिक आर्थिक अवसर प्रदान करने से चीन के लोगों को अधिक राजनीतिक स्वतंत्रता और अधिक मौलिक अधिकार मिलेंगे, सही साबित नहीं हुआ। यह काम नहीं आया। मैं पुराने शासकों की आलोचना नहीं कर रहा हूं, हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि यह सफल नहीं हुआ और इसका मतलब है कि अमेरिका को दूसरा रास्ता अपनाना होगा।'

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