Amit Shah: वंदे मातरम् के 150 साल: 'भारत की आत्मा का स्वर' - गृहमंत्री अमित शाह
Amit Shah - वंदे मातरम् के 150 साल: 'भारत की आत्मा का स्वर' - गृहमंत्री अमित शाह
आज, 7 नवंबर को, भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने का ऐतिहासिक अवसर है और इस महत्वपूर्ण पड़ाव को चिह्नित करने के लिए, केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) देश भर में 'राष्ट्र एकता का उत्सव' नामक एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। इस उत्सव के तहत, पूरे देश में 150 विभिन्न स्थानों पर 'वंदे मातरम्' का सामूहिक गायन किया जा रहा है, जिसमें लाखों लोग एक साथ इस महान गीत को गाकर अपनी राष्ट्रीय भावना का प्रदर्शन कर रहे हैं।
गृहमंत्री अमित शाह का प्रेरणादायक संदेश
इस अवसर पर, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 'वंदे मातरम्' के महत्व पर प्रकाश डालते हुए एक प्रेरणादायक संदेश साझा किया और उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर पोस्ट करते हुए कहा कि 'वंदे मातरम्' केवल शब्दों का एक संग्रह मात्र नहीं है, बल्कि यह 'भारत की आत्मा का स्वर' है। शाह ने इस बात पर जोर दिया कि इस गीत ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ देश को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और स्वतंत्रता की चेतना को एक नई शक्ति प्रदान की और उन्होंने बताया कि 'वंदे मातरम्' ने क्रांतिकारियों के हृदय में अपनी मातृभूमि के प्रति अटूट समर्पण, गर्व और बलिदान की गहरी भावना जगाई, जिसने उन्हें देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित किया। गृहमंत्री ने आगे कहा कि यह गीत आज भी देशवासियों के हृदय में राष्ट्रवाद की अलख प्रज्वलित कर रहा है और युवाओं में एकता, राष्ट्रभक्ति और नवऊर्जा का एक शाश्वत स्रोत बना हुआ है। उन्होंने सभी देशवासियों से अपील की कि वे इस महान गीत के 150वें स्मरणोत्सव पर अपने परिजनों। के साथ इसके पूर्ण संस्करण का सामूहिक गान करें, ताकि इसकी प्रेरणा भावी पीढ़ियों तक पहुंचती रहे।'राष्ट्र एकता का उत्सव' पहल
केंद्र सरकार और भाजपा द्वारा आयोजित 'राष्ट्र एकता का उत्सव' एक व्यापक पहल है जिसका उद्देश्य 'वंदे मातरम्' के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को जन-जन तक पहुंचाना है। इस उत्सव के अंतर्गत, देश भर के 150 स्थानों पर सामूहिक गायन के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक, शैक्षणिक और सामाजिक गतिविधियां भी आयोजित की जा रही हैं। इन आयोजनों का लक्ष्य राष्ट्रीय गीत के गौरवशाली इतिहास और उसके द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना है और यह पहल न केवल गीत के प्रति सम्मान व्यक्त करती है, बल्कि देशवासियों के बीच एकता और राष्ट्रीय गौरव की भावना को भी सुदृढ़ करती है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से, युवा पीढ़ी को 'वंदे मातरम्' के पीछे के बलिदान और राष्ट्रप्रेम की कहानियों से परिचित कराया जा रहा है, जिससे वे अपनी विरासत पर गर्व कर सकें।बंगाल में विशेष आयोजन और राजनीतिक मायने
इस राष्ट्रव्यापी उत्सव के तहत, भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में भी बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित कर रही है। 7 नवंबर को ही, बंगाल में 1100 विभिन्न स्थानों पर 'वंदे मातरम्' के सामूहिक गायन का कार्यक्रम रखा गया है। यह आयोजन पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण आउटरीच कार्यक्रम के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा इस पहल के माध्यम से बंगाल की संस्कृति और अस्मिता को बढ़ावा देने का संदेश देना चाहती है, क्योंकि 'वंदे मातरम्' का उद्भव बंगाल से ही हुआ था। यह कार्यक्रम राज्य में पार्टी के जनाधार को मजबूत करने और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का एक प्रयास भी माना जा रहा है। हालांकि, इन आयोजनों को लेकर कुछ स्थानों पर विरोध भी देखने को मिल रहा है, जो इस मुद्दे की संवेदनशीलता को दर्शाता है।केंद्रीय मंत्रिमंडल का ऐतिहासिक निर्णय
'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देशव्यापी उत्सव मनाने का निर्णय 1 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया था और इस निर्णय ने इस उत्सव को एक आधिकारिक और राष्ट्रीय महत्व प्रदान किया। मंत्रिमंडल ने यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया कि यह ऐतिहासिक अवसर पूरे देश में गरिमा और उत्साह के साथ मनाया जाए, ताकि 'वंदे मातरम्' की विरासत को सम्मान दिया जा सके और उसकी प्रेरणा को अक्षुण्ण रखा जा सके। यह निर्णय दर्शाता है कि सरकार इस गीत को भारतीय पहचान और राष्ट्रीय एकता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ मानती है, और इसके संदेश को हर नागरिक तक पहुंचाना चाहती है।