बॉलीवुड: कभी शोले के 'सूरमा भोपाली' तो कभी बने पुराना मंदिर के 'मच्छर सिंह', अमर हो गए जगदीप के ये 10 किरदार

बॉलीवुड - कभी शोले के 'सूरमा भोपाली' तो कभी बने पुराना मंदिर के 'मच्छर सिंह', अमर हो गए जगदीप के ये 10 किरदार
| Updated on: 08-Jul-2020 11:39 PM IST
बॉलीवुड डेस्क | फिल्म इंडस्ट्री में निर्माताओं के पसंदीदा रहे जगदीप उर्फ सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी का 81 साल की उम्र में निधन हो गया है। कई लोग उन्हें उनके चर्चित किरदार सूरमा भोपाली के नाम से भी जानते हैं। कॉमेडी में जगदीप ने खुद को इस तरह स्थापित किया था कि शायद ही कोई दूसरा कलाकार कभी ही उनकी जगह ले पाए। वो उन सहायक कलाकारों में से थे जिन्हें देश के प्रधानमंत्री ने सम्मानित किया था। भले ही आज जगदीप हमारे बीच न रहे हों लेकिन उनके निभाए ये 10 किरदार हमेशा याद किए जाएंगे।

किरदार : लालू उस्ताद

फिल्म : दो बीघा जमीन (1953)

उस समय जगदीप एक बाल कलाकार के रूप में काम करते थे। निर्देशक बिमल रॉय ने फणि मजुमदार की फिल्म धोबी डॉक्टर में उन्हें रोते हुए देखा। वहीं से बिमल रॉय ने जगदीप को पसंद किया, और अपनी इस फिल्म में एक जूते पोलिश करने वाले का किरदार दिया। यह एक कॉमेडी किरदार था, जिसमें जगदीप लोगों को चुटीले संवाद बोलकर जूते पोलिश करवाने के लिए बुलाते हैं। साथ ही अपनी बिरादरी वालों पर रौब भी जमाते हैं।

किरदार : इलाइची

फिल्म : आर पार (1954)

अजीब से नाम से ही अंदाजा हो गया होगा कि जगदीप ने इसमें भी एक कॉमेडियन का किरदार ही किया है। गुरु दत्त के निर्देशन में बनी इस फिल्म में जगदीप ने गुरु दत्त के ही पार्टनर का किरदार निभाया है। शुरुआत से लेकर अंत तक दोनों एक साथ रहते हैं। उनके किरदार की खास बात यह है कि गुरु दत्त पूरे वयस्क हैं, और जगदीप एक बालक। फिर भी बुजुर्गों जैसी बात करते हैं। यही बात उनके किरदार को बड़ा बनाती है।

किरदार : महमूद

फिल्म : हम पंछी एक डाल के (1957)

बच्चों के बेहतरीन काम की वजह से सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म का फिल्मफेयर जीतने वाली इस फिल्म में जगदीप ने मुख्य किरदार राजेंद्र मेहरा (मास्टर रोमी) के सहपाठी का किरदार निभाया है। कई और दोस्तों के साथ मिलकर राजेंद्र और महमूद (जगदीप) बाहर घूमने चले जाते हैं। राजेंद्र घर से रूठकर आया था, तो महमूद ऐसा दोस्त था जो उसे बुजुर्गों की तरह समझाया करता था। इस किरदार के लिए जगदीप की बहुत तारीफ हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें खुद पुरस्कृत भी किया था।  

किरदार : सूरमा भोपाली

फिल्म : शोले (1975)

रमेश सिप्पी की प्रतिष्ठित फिल्म 'शोले' का तो हर किरदार लोगों को जुबानी याद हैं। यहां से ही जगदीप को सूरमा भोपाली के नाम से ही जाना जाने लगा था। बहुत से लोगों को शायद आज भी नहीं पता होगा कि सूरमा भोपाली का असली नाम जगदीप है। फिल्म में एक फेंकू लकड़ी बेचने वाले के रूप में जगदीप के किस्से सुनने बहुत से लोग जमा रहते हैं। वह डींगें हांकते रहते हैं, और लोग सुनते रहते हैं। जगदीप का यह रूप लोगों की बहुत पसंद आया।

किरदार : मच्छर सिंह (डकैत)

फिल्म : पुराना मंदिर (1984)

उस समय की डरावनी फिल्में जिन्हें देखना पसंद हैं, उन्होंने ये फिल्म तो जरूर देखी होगी। हॉरर फिल्म में भूत को मारने वाला हीरो होता है, लेकिन इस फिल्म में तो जगदीप ही नजर आते है। हॉरर फिल्म में इस तरह की कॉमेडी की उम्मीद सिर्फ जगदीप से ही की जा सकती है। गब्बर सिंह से प्रेरित डकैत के रूप में जगदीप दर्शकों को पूरा हंसी का डोज देते हैं। 

किरदार : सूरमा भोपाली

फिल्म : सूरमा भोपाली (1988)

अपने शोले के किरदार सूरमा भोपाली से जगदीप इतने प्रभावित थे कि उन्होंने इसको लेकर अपने निर्देशन में एक अलग फिल्म ही बना डाली। इसमें उन्होंने खुद को मुख्य किरदार के रूप में सामने रखा। जगदीप को इस फिल्म के लिए खरीदार भी नहीं मिले, लेकिन फिर भी जगदीप बहुत संतोष में थे। उन्होंने इस फिल्म को जबरदस्ती बेचने के कोई बाजारू हथकंडा भी नहीं अपनाया।

किरदार : मुंशी जी

फिल्म : निगाहें (1989)

अलौकिक शक्तियों से प्रेरित इस फिल्म में लोग सनी देओल और श्रीदेवी को देखते हैं। लेकिन मामूली सी जो हंसी इस फिल्म में लोगों के चेहरों पर आती है, वह फिल्म के मुंशी जी यानी जगदीप की वजह से आती है। फिल्म में उन्होंने श्रीदेवी के यहां एक खानदानी नौकर का किरदार निभाया है, जो उनके परिवार की वर्षों से देख-रेख कर रहा है। उस जमाने में वह गुजरे जमाने की बातें करते हुए बहुत मजाकिया लगते हैं। उनका अभिनय भी निराला ही है।

किरदार : बांकेलाल भोपाली

फिल्म : अंदाज अपना अपना (1994)

कॉमेडी के लिए मशहूर इस फिल्म में आमिर खान और सलमान खान की जोड़ी दर्शकों को बहुत पसंद आई। सलमान के पिता के रूप में जगदीप उनकी खूब खिंचाई करते हैं। बाप बेटे की प्यारी नोंक झोंक से दर्शकों का खूब मनोरंजन होता है, जोकि आजकल की फिल्मों में तो शायद ही देखने को मिले। वे अपने बेटे को सुधारने और सही रास्ते पर चलने की सलाह देते हुए नजर आते हैं।

किरदार : सूबेदार रमैया

फिल्म : चाइना गेट (1998)

कुछ बुजुर्ग हो चुके लोगों की टोली जब फिल्म के मुख्य विलेन जगीरा को मारने निकलती है, तो उस टोली का हिस्सा सूबेदार रमैया यानी जगदीप भी होते हैं। फिल्म में वे दिखते जरूर डरपोक हैं लेकिन उनकी शहादत बहुत बहादुरी से होती है। अपने दोस्त की जान बचाते हुए वे अपनी जान दे देते हैं। अमरीश पुरी, डैनी डेन्जोंगपा, नसीरुद्दीन शाह जैसे शानदार कलाकरों के साथ जगदीप भी पूरी छाप छोड़ते हैं।  

किरदार : लतीफ खेड़का

फिल्म : बॉम्बे टू गोआ (2007)

आता चक्की के मालिक लतीफ खेड़का जब अपनी खोई हुई बेटी की रिपोर्ट लिखवाने पुलिस स्टेशन पहुंचते हैं, तो कॉमेडी भरपूर होती है। वे अपनी बेटी की ऐसी फोटो थानेदार के सामने पेश करते हैं, कि उसमें उसका चेहरा ही नहीं दिख रहा होता है। सभी में बुर्का पहना होता है। उस छोटे से सीन से भी वे लोगों की नजर में आ जाते हैं। वे कलाकार ही इतने कमाल के हैं।  

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