Union Cabinet: विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल को कैबिनेट की मंजूरी: उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव

Union Cabinet - विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल को कैबिनेट की मंजूरी: उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव
| Updated on: 13-Dec-2025 12:03 PM IST
भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में एक ऐतिहासिक परिवर्तन की नींव रखी गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने ‘विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल’ को अपनी मंजूरी दे दी है, जो देश के उच्च शिक्षा परिदृश्य को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखता है। यह बिल तीन प्रमुख नियामक निकायों – यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC), ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) और नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) – का स्थान लेगा, जिससे एक एकीकृत और सुव्यवस्थित नियामक ढांचा तैयार होगा। इस कदम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) के उद्देश्यों के अनुरूप देखा। जा रहा है, जिसका लक्ष्य उच्च शिक्षा क्षेत्र को मजबूत और गतिशील बनाना है।

एकल नियामक की स्थापना

इस बिल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू एक एकल उच्च शिक्षा नियामक के रूप में ‘विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण’ की स्थापना का प्रस्ताव है। यह नया आयोग भारतीय उच्च शिक्षा के लिए एक केंद्रीकृत प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा, जिससे। विभिन्न नियामक निकायों के बीच समन्वय की कमी और ओवरलैप की समस्याओं का समाधान होने की उम्मीद है। वर्तमान में, उच्च शिक्षा के विभिन्न पहलुओं को अलग-अलग संस्थाओं द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जिससे कभी-कभी जटिलताएं और अक्षमताएं उत्पन्न होती हैं। एक एकल नियामक इन चुनौतियों को दूर करने और एक अधिक सुसंगत और प्रभावी प्रणाली बनाने में मदद करेगा।

तीन मुख्य कार्यक्षेत्र

‘विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण’ के मुख्य रूप से तीन कार्य होंगे, जो भारतीय उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और मानकों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और पहला कार्य ‘रेगुलेशन’ है, जिसके तहत उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए नियम और दिशानिर्देश निर्धारित किए जाएंगे, ताकि वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर सकें। दूसरा कार्य ‘एक्रेडिटेशन’ है, जो संस्थानों और उनके कार्यक्रमों की गुणवत्ता का मूल्यांकन और प्रमाणन करेगा, जिससे छात्रों और नियोक्ताओं को उनकी विश्वसनीयता का पता चल सके। तीसरा कार्य ‘प्रोफेशनल स्टैंडर्ड’ तय करना है, जिसका अर्थ है विभिन्न शैक्षणिक और व्यावसायिक क्षेत्रों। के लिए उच्च मानकों को स्थापित करना, ताकि स्नातक उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।

फंडिंग का अलग मॉडल

हालांकि नए आयोग को रेगुलेशन, एक्रेडिटेशन और प्रोफेशनल स्टैंडर्ड तय करने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन फंडिंग को इसके दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव है। फंडिंग, जिसे अक्सर नियामक प्रणाली के चौथे महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में देखा जाता है, प्रशासनिक मंत्रालय के पास रहने का प्रस्ताव है। इस अलगाव का उद्देश्य नियामक निकाय को वित्तीय आवंटन के दबाव से मुक्त रखना हो सकता है, जिससे वह अपनी नियामक और गुणवत्ता आश्वासन भूमिकाओं पर अधिक निष्पक्षता और ध्यान केंद्रित कर सके। यह सुनिश्चित करेगा कि फंडिंग निर्णय शैक्षणिक मानकों के बजाय नीतिगत प्राथमिकताओं और बजटीय विचारों पर आधारित हों।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विकास

‘हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI)’ की अवधारणा पर पहले भी चर्चा हो चुकी है। ‘हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन एक्ट को खत्म करना) बिल, 2018’ का एक ड्राफ्ट, जिसमें UGC एक्ट को खत्म करने और HECI की स्थापना का प्रावधान था, 2018 में सार्वजनिक डोमेन में फीडबैक और हितधारकों के साथ सलाह-मशविरे के लिए रखा गया था। यह दर्शाता है कि उच्च शिक्षा नियामक सुधार की आवश्यकता को लंबे समय से महसूस किया जा रहा था।

धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में नई पहल

जुलाई 2021 में केंद्रीय शिक्षा मंत्री का पद संभालने के बाद, धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में HECI को हकीकत बनाने के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू किए गए। इन प्रयासों का उद्देश्य एक ऐसे नियामक ढांचे को स्थापित करना था जो 21वीं सदी की भारतीय उच्च शिक्षा की जरूरतों को पूरा कर सके। यह बिल इन निरंतर प्रयासों का परिणाम है और एक मजबूत, पारदर्शी और जवाबदेह उच्च शिक्षा प्रणाली बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का दृष्टिकोण

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) ने उच्च शिक्षा क्षेत्र को फिर से मजबूत बनाने और उसे आगे बढ़ने। में मदद करने के लिए नियामक प्रणाली में पूरी तरह से बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया है। NEP-2020 डॉक्यूमेंट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नया सिस्टम यह सुनिश्चित करे कि रेगुलेशन, एक्रेडिटेशन, फंडिंग और एकेडमिक स्टैंडर्ड तय करने जैसे अलग-अलग काम अलग-अलग, आजाद और मजबूत संस्थाओं द्वारा किए जाएं और ‘विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल’ इसी दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय उच्च शिक्षा को वैश्विक मानकों के अनुरूप लाने और उसे भविष्य के लिए तैयार करने में सहायक होगा। यह बिल उच्च शिक्षा में गुणवत्ता, पहुंच और इक्विटी को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा।

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