देश: हरियाणा राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के विलेन बने विवेक बंसल, क्यों उठा विवाद
देश - हरियाणा राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के विलेन बने विवेक बंसल, क्यों उठा विवाद
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Updated on: 15-Jun-2022 08:14 AM IST
Delhi: हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस नेता अजय माकन की हार के बाद हरियाणा के अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के प्रभारी विवेक बंसल निशाने पर हैं। पार्टी के पास पर्याप्त संख्या में होने के बावजूद राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन की जीत सुनिश्चित करने में विफल रहने के बाद विवेक बंसल पर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे एक 'गलत वोट' को पकड़ने में नाकाम रहे जबकि यह उनकी जिम्मेदारी थी। विवेक बंसल कांग्रेस नेता अजय माकन के एजेंट थेदरअसल 10 जून को उच्च सदन के चुनाव हुए थे और विवेक बंसल कांग्रेस नेता अजय माकन के एजेंट थे। लेकिन इसके बावजूद वे एक विधायक के "गलत वोट" को नहीं रोक सके। हर पार्टी विधायक के चिह्नित मतपत्र को डालने से पहले देखना बंसल की जिम्मेदारी थी। कांग्रेस पार्टी उनसे उम्मीद कर रही थी वे मोर्चे पर डटे रहेंगे क्योंकि पार्टी नाराज असंतुष्ट नेता कुलदीप बिश्नोई को चुनाव में "क्रॉस वोटिंग" में शामिल होने की उम्मीद कर रही थी।कांग्रेस नेतृत्व ने अब बंसल को उस पार्टी विधायक की "पहचान" करने का काम सौंपा है, जिसका मतपत्र "गलत तरीके से चिह्नित" होने के कारण खारिज कर दिया गया था, जिसके कारण सत्तारूढ़ भाजपा-जेजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय के हाथों अजय माकन की हार हो गई थी। अजय माकन शर्मा से सिर्फ 2/3 वोट से हार गए। चुनाव मैदान में भाजपा उम्मीदवार कृष्ण पंवार ने आसानी से जीत हासिल कर ली थी। कुलदीप बिश्नोई द्वारा "क्रॉस वोटिंग" किए जाने के अलावा एक और कांग्रेस विधायक का वोट गलत करार दिया गया था जिसके बाद उसे रिजेक्ट कर दिया गया था। विवेक बंसल ने सौंपी रिपोर्टकहा जा रहा है कि हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल ने पार्टी हाईकमान को अपनी गोपनीय रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में उस विधायक का नाम लिखा गया है, जिसने पार्टी से "गद्दारी" की और जिसका वोट रद्द हो गया था। बंसल ने रिपोर्ट ये भी माना है कि संबंधित विधायक ने वोट डालने से पहले अधिकृत एजेंट (बंसल) को भी चकमा दे दिया था। कौन हैं विवेक बंसलकांग्रेस नेतृत्व ने यूपी के पूर्व विधायक बंसल को सितंबर 2020 में हरियाणा का प्रभारी नियुक्त किया था। उन्होंने पार्टी के दिग्गज गुलाम नबी आजाद की जगह ली थी। हालांकि बंसल के लिए ये काम आसान नहीं रहा। लंबे समय से गुटबाजी और अंदरूनी कलह से जूझ रही राज्य कांग्रेस में कई बदलाव भी हुए हैं। 63 वर्षीय बंसल यूपी के अलीगढ़ के रहने वाले हैं। आखिरी बार उन्होंने 2002 में अलीगढ़ सीट से विधानसभा चुनाव जीता था। तब से वह कोइल सीट से हार रहे हैं। वह 2012 का चुनाव समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार से सिर्फ 500 वोटों से हार गए, जबकि 2017 और 2022 में, वह भाजपा और सपा के उम्मीदवारों से तीसरे स्थान पर रहे।2022 के चुनाव के लिए चुनाव आयोग के साथ दायर उनके हलफनामे के अनुसार, बंसल के पास 5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति थी और उनकी कमाई का प्राथमिक स्रोत "किराये की आय और अन्य" है। उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले भी दर्ज थे, जिनमें से अधिकांश मुख्य रूप से कोविड-19 उल्लंघन से संबंधित "गंभीर नहीं" थे। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था।
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