देश: हम देश की संपत्तियों को नहीं बेच रहे: 'नैशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन' पर वित्त मंत्री
देश - हम देश की संपत्तियों को नहीं बेच रहे: 'नैशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन' पर वित्त मंत्री
नई दिल्ली: सोमवार यानी 23 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 6 लाख करोड़ के नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) प्रोग्राम को पेश किया. इस प्रोग्राम के तहत एयरपोर्ट, रोड, रेलवे स्टेशन से लेकर स्टेडियम तक का मोनेटाइजेशन किया जाएगा. सरकार की इस घोषणा पर कांग्रेस समेत विपक्ष हमलावर हो गया है. आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने NMP प्रोग्राम की आलोचन करने वालों पर तीखा हमला बोला.केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छह लाख करोड़ रुपए की मौद्रिकरण पाइपलान की आलोचना करने वालों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि क्या कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस तरह की पहल के बारे में कोई जानकारी रखते हैं. मुंबई में मीडिया से बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह कांग्रेस ही थी जिसने जमीन और खदान जैसे संसाधनों को बेचने पर‘‘रिश्वत’’ हासिल की. उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों ने मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे का मौद्रिकरण (मोनेटाइजेशन) करके 8,000 करोड़ रुपए जुटाए, और 2008 में संप्रग सरकार ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को पट्टे पर देने के लिए आग्रह पत्र (RFP) आमंत्रित किया था.नई दिल्ली स्टेशन का मालिकाना हक क्या ‘जीजाजी’ के पास हैराहुल गांधी की उस घटना को याद करते हुए जहां उन्होंने (गांधी ने) सहमत नहीं होने पर अध्यादेश की प्रति को फाड़ दिया था सीतारमण ने कहा कि राहुल गांधी ने रेलवे स्टेशन को पट्टे पर देने के प्रस्ताव संबंधी दस्तावेज को क्यों नहीं फाड़ दिया. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘अगर वह वास्तव में मौद्रिकरण (मोनेटाइजेशन) के खिलाफ हैं, तो राहुल गांधी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के मोनेटाइजेशन RFP को क्यों नहीं फाड़ दिया? अगर यह मौद्रिकरण है, तो क्या उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को बेच दिया? क्या अब इसका स्वामित्व जीजाजी के पास है?कॉमनवेल्थ गेम्स की दिलाई यादक्या उन्हें पता है कि मौद्रिकरण क्या है?’’ उन्होंने कांग्रेस को राष्ट्रमंडल खेलों की याद भी दिलाई. सीतारमण ने दोहराया कि संपत्ति मौद्रिकरण योजना में संपत्ति को बेचना शामिल नहीं है, और संपत्ति सरकार को वापस सौंप दी जाएगी.नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन प्रोग्राम के तहत कई क्षेत्रों की सरकारी संपत्तियों में हिस्सेदारी बेचकर या संपत्ति को लीज पर देकर कुल 6 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य है. वित्त मंत्रालय ने सोमवार को इसका पूरा खाका पेश करते हुए बताया कि लीज पर देने की प्रक्रिया 4 साल, यानी कि 2025 तक चलेगी. निर्मला ने कहा कि जिन रोड, रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट्स को लीज पर दिया जाएगा, उनका मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा. वहीं, लीज एक तय की गई समयसीमा के लिए होगी. उसके बाद सारा इन्फ्रास्ट्रक्चर सरकार के पास वापस आ जाएगा.