देश: लखीमपुर खीरी हिंसा पर रिपोर्ट के लिए देर रात 1 बजे तक इंतज़ार किया: यूपी सरकार से एससी

देश - लखीमपुर खीरी हिंसा पर रिपोर्ट के लिए देर रात 1 बजे तक इंतज़ार किया: यूपी सरकार से एससी
| Updated on: 20-Oct-2021 05:18 PM IST
लखीमपुर: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील को फटकार लगाई. साथ ही कोर्ट ने अगले हफ्ते तक अदालत में जांच संबंधी स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश जारी किया है. दरअसल, सुनवाई की शुरुआत में यूपी सरकार की ओर से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हमने सील कवर में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है. इस पर सीजेआई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कम से कम एक दिन पहले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी थी, हमने सीलकवर में दाखिल करने को नहीं कहा था. इसके लिए कल देर रात तक मैंने स्थिति रिपोर्ट का इंतजार किया था. इसी दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए बढ़ा दीजिए. इस पर सीजेआई ने कहा, नहीं हम शुक्रवार शनिवार नहीं सुनेंगे, रिपोर्ट अभी पढ़ेंगे.

दरअसल, कोर्ट ने मामले में स्वत: ही संज्ञान लिया था और पिछली सुनवाई में जांच में असंतोषजनक प्रगति के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की खिंचाई भी की. सीजेआई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कम से कम एक दिन पहले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी थी, हमने सीलकवर में दाखिल करने को नहीं कहा था. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमणा (NV Raman) ने यूपी सरकार से कहा कि फाइलिंग के लिए जज देर रात तक इंतजार करते, जोकि हमें अब मिल पाई है. साल्वे के अनुरोध के बाद न्यायाधीशों ने मामले को शुक्रवार के लिए स्थगित करने से इनकार कर दिया.

इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव में हुई घटना में आरोपी होने के छह दिन बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. आरोप लगाया कि आरोपी की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए पुलिस ने कार्रवाई में देरी की.

इससे पहले 8 अक्टूबर को हुई थी सुनवाई

अदालत ने आठ अक्टूबर को लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के आरोपियों को गिरफ्तार ना करने के कदम पर सवाल उठाए थे और साक्ष्यों को संरक्षित रखने का निर्देश दिया था. पीठ ने कहा था कि कानून सभी आरोपियों के खिलाफ समान रूप से लागू होना चाहिए और आठ लोगों की बर्बर हत्या की जांच में विश्वास जगाने के लिए सरकार को इस संबंध में सभी उपचारात्मक कदम उठाने होंगे. राज्य सरकार की ओर से वकील ने आठ अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को आश्वासन दिया था कि मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी.

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