Navratri 2025: नवरात्रि की नवमी के दिन माता सिद्धिदात्री को क्या भोग लगाया जाता है?

Navratri 2025 - नवरात्रि की नवमी के दिन माता सिद्धिदात्री को क्या भोग लगाया जाता है?
| Updated on: 01-Oct-2025 07:20 AM IST

Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का समापन नवमी तिथि पर होता है। यह नौ दिनों का पवित्र पर्व माता दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है। नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो माता दुर्गा का अंतिम और नौवां स्वरूप हैं। मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली देवी मानी जाती हैं। इस दिन को नवमी के रूप में भी जाना जाता है, और यह नवरात्रि का समापन दिवस होता है।

मां सिद्धिदात्री का महत्व

मां सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन की जाती है। यह देवी भक्तों को यश, बल, धन और सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति कराती हैं। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की कृपा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है, जो माता के नौ स्वरूपों की पूजा का प्रतीक है।

मां सिद्धिदात्री को भोग

नवरात्रि की नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री को विशेष भोग अर्पित किए जाते हैं। ये भोग माता को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का माध्यम माने जाते हैं। निम्नलिखित भोग मां सिद्धिदात्री को विशेष रूप से प्रिय हैं:

  • हलवा: मां सिद्धिदात्री को हलवा बहुत प्रिय है। इसे सूजी, चीनी और घी से बनाया जाता है, और इसमें मेवों का उपयोग इसे और स्वादिष्ट बनाता है।

  • पूरी: गेहूं के आटे से बनी तली हुई पूरी माता को अर्पित की जाती है। यह भोग सादगी और भक्ति का प्रतीक है।

  • चना: काले चने की सब्जी या उबले हुए चने मां को चढ़ाए जाते हैं। यह पौष्टिक और पारंपरिक भोग है।

  • नारियल: नारियल को शुद्धता और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इसे माता को अर्पित करना शुभ माना जाता है।

  • तिल से बने पकवान: तिल के लड्डू या अन्य मिठाइयां मां सिद्धिदात्री को बहुत प्रिय हैं। तिल को सकारात्मक ऊर्जा और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।

  • खीर: दूध, चावल और चीनी से बनी खीर भी माता को अर्पित की जाती है। यह मिठास और भक्ति का प्रतीक है।

  • मेवों से बनी मिठाइयां: बादाम, काजू, और पिस्ता जैसे मेवों से बनी मिठाइयां माता को चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

कन्या पूजन और भोग

नवरात्रि की नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन छोटी कन्याओं को माता के स्वरूप के रूप में पूजा जाता है। कन्या पूजन के समय भी उपरोक्त भोग जैसे हलवा, पूरी, चना, और मिठाइयां कन्याओं को प्रसाद के रूप में दी जाती हैं। यह कार्य माता की कृपा प्राप्त करने और नवरात्रि की पूजा को पूर्ण करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मां सिद्धिदात्री की पूजा का फल

मां सिद्धिदात्री की पूजा और भोग अर्पित करने से भक्तों को न केवल सिद्धियां प्राप्त होती हैं, बल्कि उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। यह पूजा व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों रूपों में समृद्ध करती है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

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