India-US Tariff War: भारत के किस सेक्टर पर ट्रंप के 'टैरिफ बम' का नहीं पड़ेगा असर? जानें US ने किसमें देखा अपना स्वार्थ?

India-US Tariff War - भारत के किस सेक्टर पर ट्रंप के 'टैरिफ बम' का नहीं पड़ेगा असर? जानें US ने किसमें देखा अपना स्वार्थ?
| Updated on: 27-Aug-2025 08:40 PM IST

India-US Tariff War: 27 अगस्त 2025 से, अमेरिका ने भारत से आयातित सामानों पर 50% टैरिफ लागू कर दिया है, जिसमें 25% बेसिक टैरिफ और 25% अतिरिक्त टैरिफ शामिल है। यह कदम भारत के रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के जवाब में उठाया गया है। हालांकि, अमेरिका ने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ क्षेत्रों—जैसे दवाइयाँ, स्मार्टफोन, और पेट्रोकेमिकल्स—को इस टैरिफ से बाहर रखा है, जिससे इन सेक्टरों पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा। इस लेख में हम उन क्षेत्रों का विश्लेषण करेंगे जो इस टैरिफ से प्रभावित होंगे और जो इससे बचे रहेंगे, साथ ही भारत की निर्यात रणनीति पर इसके प्रभाव को समझेंगे।

टैरिफ से अप्रभावित क्षेत्र

1. जेनेरिक दवाइयाँ: अमेरिका की निर्भरता

अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की मांग बहुत अधिक है। अमेरिका में 90% प्रिस्क्रिप्शन जेनेरिक दवाओं के होते हैं, जिनमें से 40% भारत से आयात किए जाते हैं। 2024 में भारत ने अमेरिका को 9.5 बिलियन डॉलर की दवाइयाँ निर्यात कीं, और इन पर टैरिफ शून्य ही रहेगा। यह छूट इसलिए दी गई है क्योंकि अमेरिका अपनी जेनेरिक दवा मांग को स्वदेशी उत्पादन से पूरा नहीं कर सकता। भारतीय दवा उद्योग के लिए यह एक बड़ा अवसर है, क्योंकि यह न केवल मुनाफे को बनाए रखता है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की स्थिति को मजबूत करता है।

2. स्मार्टफोन: भारत की बढ़ती ताकत

भारत ने स्मार्टफोन निर्यात में उल्लेखनीय प्रगति की है। 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 10.6 बिलियन डॉलर के स्मार्टफोन निर्यात किए, और यह क्षेत्र भी टैरिफ से मुक्त रहेगा। जुलाई 2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अमेरिकी स्मार्टफोन बाजार में चीन को पछाड़कर शीर्ष आपूर्तिकर्ता बन गया है, जिसकी हिस्सेदारी 13% से बढ़कर 44% हो गई। यह उपलब्धि भारत की 'मेक इन इंडिया' और PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम का परिणाम है, जिसने Apple और Samsung जैसी कंपनियों को भारत में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।

3. पेट्रोकेमिकल्स: स्थिर टैरिफ

पेट्रोकेमिकल्स, जिनका निर्यात मूल्य 4.1 बिलियन डॉलर है, पर टैरिफ 6.9% पर स्थिर रहेगा। यह क्षेत्र अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है, और टैरिफ में छूट से भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहेगी। हालांकि, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अनुसार, रासायनिक निर्यात (जिनमें पेट्रोकेमिकल्स शामिल हैं) में वित्त वर्ष 2026 में 2-7 बिलियन डॉलर की कमी आ सकती है, क्योंकि कुछ रासायनिक उत्पाद टैरिफ की चपेट में आ सकते हैं।

टैरिफ से प्रभावित क्षेत्र

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 86.5 बिलियन डॉलर के कुल निर्यात में से 60.2 बिलियन डॉलर (लगभग 66%) पर 50% टैरिफ का असर पड़ेगा। इससे कई श्रम-प्रधान क्षेत्रों में भारी गिरावट की आशंका है, जिसका प्रभाव लाखों नौकरियों पर पड़ सकता है।

1. गारमेंट और होम टेक्सटाइल

  • गारमेंट: 3.4 बिलियन डॉलर के निर्यात पर टैरिफ 12% से बढ़कर 62% हो गया है। यह भारत के टेक्सटाइल उद्योग, जो अमेरिका में 29% हिस्सेदारी रखता है, के लिए बड़ा झटका है। बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा बढ़ने की संभावना है।

  • होम टेक्सटाइल: 3.0 बिलियन डॉलर के निर्यात पर टैरिफ 9% से बढ़कर 59% हो गया है। इससे कालीन और फर्नीचर जैसे उत्पादों की मांग प्रभावित होगी।

2. झींगा मछली

झींगा निर्यात, जो 2 बिलियन डॉलर का है, पर टैरिफ शून्य से बढ़कर 60% हो गया है। भारत का झींगा निर्यात अमेरिका और चीन के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इस टैरिफ से आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में लाखों किसान प्रभावित होंगे। ऑर्डर रुकने से कीमतों में कटौती शुरू हो चुकी है।

3. ज्वेलरी और डायमंड

  • ज्वेलरी: 3.6 बिलियन डॉलर के निर्यात पर टैरिफ 5.8% से बढ़कर 55.8% हो गया है। इससे सूरत और मुंबई जैसे केंद्रों में कारीगरों की नौकरियाँ खतरे में हैं।

  • डायमंड: 4.9 बिलियन डॉलर के निर्यात पर टैरिफ शून्य से 50% हो गया है। अमेरिका में लैब-निर्मित हीरों की बढ़ती मांग पहले से ही इस उद्योग को प्रभावित कर रही है, और टैरिफ इसे और कमजोर करेगा।

4. मशीनरी और ऑटो पार्ट्स

  • मशीनरी पार्ट्स: 6.7 बिलियन डॉलर के निर्यात पर टैरिफ 1.3% से बढ़कर 51.3% हो गया है। छोटे और मध्यम उद्यम, जो इस क्षेत्र का 40% हिस्सा हैं, सबसे अधिक प्रभावित होंगे।

  • ऑटो पार्ट्स: 6.4 बिलियन डॉलर के निर्यात पर टैरिफ 1% से बढ़कर 26-51% हो गया है। इससे कार उत्पादन और मरम्मत की लागत बढ़ेगी, जिससे भारत की हिस्सेदारी कम हो सकती है।

भारत के लिए चुनौतियाँ और अवसर

इस टैरिफ से भारत के निर्यात में 43% तक की कमी आ सकती है, जिससे 2026 तक निर्यात 86.5 बिलियन डॉलर से घटकर 49.6 बिलियन डॉलर रह सकता है। इससे भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% से घटकर 5.6% हो सकती है।

हालांकि, भारत सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। वाणिज्य मंत्रालय ने 30 नए देशों को फोकस मार्केट बनाकर निर्यात बढ़ाने की योजना बनाई है, जिससे अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम होगी। यूरोप (जर्मनी, यूके) और ASEAN देशों (सिंगापुर, मलेशिया) में इंजीनियरिंग और टेक्सटाइल निर्यात बढ़ाने की संभावना है।

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