Lok Sabha Elections: सहारनपुर, गोरखपुर और काशी के मुसलमानों में किसकी लहर? सर्वे में खुलासा

Lok Sabha Elections - सहारनपुर, गोरखपुर और काशी के मुसलमानों में किसकी लहर? सर्वे में खुलासा
| Updated on: 28-Jul-2023 08:52 PM IST
Lok Sabha Elections: 2024 लोकसभा चुनाव से पहले मीडिया ने मुसलमानों का मन टटोलने की कोशिश की है. इसके लिए मोदी और भाईजान शो के स्पेशल एडिशन में उत्तर प्रदेश के मुसलमानों से कुछ सवाल पूछे गए. लोगों से कॉमन सिविल कोड और तीन तलाक कानून जैसे मुद्दों पर उनकी राय जानी गई. इसके अलावा यूपी का मुसलमान मोदी सरकार के लिए क्या सोचता है, ये भी जाननने की कोशिश की गई.

वाराणसी के मुसलमानों ने क्या कहा?

वाराणसी के एक मुस्लिम शख्स ने कहा कि जितनी भी योजनाएं आई हैं वो सबके लिए आई हैं. कोई स्कीम सिर्फ हिंदू या मुस्लिम के लिए नहीं आई है. वहीं एक अन्य ने कहा कि मुसलमानों की सोच बदल रही है. वे बीजेपी के पक्ष में वोट कर रहे हैं. 2014 के पहले काशी में इतनी गंदगी थी, लेकिन अब देखिए. इतनी सफाई तो हमने कभी नहीं देखी. एक अन्य शख्स मोदी सरकार से खुश नहीं दिखे. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के साथ इंसाफ नहीं हो रहा. बोला कुछ जाता है और होता कुछ है. सबका विकास नहीं हो रहा है. वहीं, एक अन्य शख्स ने कहा कि 90 प्रतिशत मुस्लिम मोदी सरकार के कामकाज से खुश हैं.

मीडिया ने गोरखपुर के मुसलमानों से भी उनकी राय जानी है. यहां के एक युवक ने कहा कि सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए मुस्लिम वोट बैंक थे. लेकिन जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है मुस्लिम सुरक्षित हैं. देश का प्रधानमंत्री कैसा काम कर रहा है. इस सवाल पर एक मुस्लिम शख्स ने कहा कि वो अच्छा काम कर रहे हैं. गोरखपुर और देश का मुस्लिम पीएम मोदी के साथ है.

एक शख्स ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां अपने फायदे के लिए पीएम मोदी को बदनाम करती हैं. लेकिन आज का मुस्लिम जाग गया है. वो वोटबैंक बनकर नहीं रहेंगे. गोरखपुर के कई मुस्लिम UCC का समर्थन करते नजर आए. उनका कहना है कि एक देश एक कानून होना चाहिए. बता दें कि पूर्वांचल की 26 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम वोटर अहम रोल अदा करते हैं. वे किसी भी उम्मीदवार का भविष्य तय करते हैं. ज़्यादातर पूर्वांचल संसदीय क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाता 9 से 20 फीसदी के आसपास हैं.

सहारनपुर के मुस्लिम क्या सोचते हैं?

पश्चिम यूपी का आखिरी जिला है सहारनपुर. धार्मिक और राजनीतिक विरासत इस शहर के जर्रे-जर्रे में बहती है. शाह हारून और बाबा लाल दास की दोस्ती ने इस शहर को हमेशा सांप्रदायिक सदभाव से सींचा. ये जिला भले ही यूपी के अंतिम छोर पर हो, लेकिन यूपी की सियासत में इसका असर हमेशा से रहा. सहानपुर की एक पहचान देवबंद से जुड़ी है. वो देवबंद जो इस्लामिक तालीम का सबसे बड़ा सेंटर माना जाता है. शरियत की अहमियत को देवबंद में ही बारीकी से समझाया और पढ़ाया जाता है. यहां के मुसलमान क्या सोचते हैं, ये भी जान लीजिए.

सहरानपुर के एक मुस्लिम शख्स ने कहा कि मोदी सरकार ने तीन तलाक को लेकर अच्छा फैसला लिया. अब कोई तीन तलाक देता है तो फंसता है. हम तो दिल के अंदर बीजेपी का ख्याल रखते हैं. मुसलमानों ने बीजेपी को वोट देकर दिखाया है. हमने मोदी जी के नाम और योगी जी के काम पर वोट दिया है. हम लोग कश्मीर में 370 हटाने से भी नाराज नहीं हैं

80 लोकसभा सीटों वाले यूपी में मुस्लिम वोट का फैक्टर इसलिए अहम है क्योंकि यहां की करीब 20 फीसदी मुस्लिम आबादी है. करीब 10 जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिम आबादी 40 फीसदी से ज्यादा है. विधानसभा की 130 से 135 सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक है. यही वजह है कि देश की सियासत में यूपी और यूपी में मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कवायद हमेशा से होती रही है.

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