PSLV Rocket Launch: ISRO की निशानी आखिर ऑस्ट्रेलिया क्यों रखना चाहता है, बताया जा रहा PSLV का मलबा?

PSLV Rocket Launch - ISRO की निशानी आखिर ऑस्ट्रेलिया क्यों रखना चाहता है, बताया जा रहा PSLV का मलबा?
| Updated on: 03-Aug-2023 08:16 AM IST
PSLV Rocket Launch: ऑस्ट्रेलिया में समुद्र तट पर मिली रहस्यमयी चीज को लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे अंतत: वही सच साबित हुए. यह रहस्यमयी चीज कोई और नहीं बल्कि भारत के ही PSLV रॉकेट का मलबा था, पर्थ से 250 किमी दूर समुद्र के किनारे जब पहली बार यह मलबा देखा गया तो इसे रहस्यमयी चीज मानकर लोग कौतूहल से उसे देखने पहुंच रहे थे, लेकिन तब इस बात का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता था कि यह भारत के ही रॉकेट का मलबा है. अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि ये रॉकेट का ही मलबा है. अब ऑस्ट्रेलिया इस मलबे को इसरो की निशानी मानकर अपने ही पास रखना चाहता है. भारत को भी इससे कोई आपत्ति नहीं है.

ISRO ने की पुष्टि

आस्ट्रेलिया के तट पर मिली इस चीज के बारे में पहले ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि ये भारत की ओर से अंतरिक्ष में भेजे गए किसी रॉकेट का मलबा हो सकता है, लेकिन उस वक्त इसरो ने बिना जांच के कोई भी बयान देने में असमर्थता जताई थी. रिपोर्ट के मुताबिक इसरो के प्रवक्ता सुधीर कुमार ने इसकी पुष्टि कर दी है कि ये पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल रॉकेट का ही मलबा है. उन्होंने यह भी कहा है कि इसका क्या करना है ये ऑस्ट्रेलिया ही डिसाइड करेगी.

कैसे पता चलता है कि किस देश की रॉकेट का मलबा है?

रॉकेट को हर वक्त इस तरह डिजाइन किया जाता है कि उसका मलबा बीचों-बीच समुद्र में गिरे, ताकि किसी प्रकार का नुकसान न हो, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि ये मलबा धरती पर गिर जाता है. ऐसे में इनकी पहचान करने का जरिया इनके पुर्जे होते हैं, दरअसल रॉकेट में अनगिनत पुर्जे लगे होते हैं, हर पुर्जे का एक सीरियल नंबर होता है जिससे ये पता लगाया जा सकता है कि आखिर ये किस देश के रॉकेट का मलबा है.

ऐसा होने पर क्या है नियम

यदि किसी देश के रॉकेट का मलबा किसी दूसरे देश में गिरता है तो उसे मूल देश को लौटाना होता है. संयुक्त राष्ट्र की अंतरिक्ष संधि के तहत ये नियम है. दरअसल मूल देश मलबे को इसलिए वापस पाना चाहते हैं, ताकि वह अपने मिशन का विश्लेषण कर सकें. हालांकि इसरो ने अभी तक ऐसी कोई इच्छा नहीं जताई है.

ऑस्ट्रेलिया रखेगा इसरो की निशानी

ऑस्ट्रेलिया इसरो की इस निशानी को अपने पास रखना चाहती है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया राज्य की सरकार के मंत्री रॉजर कुक ने इसे म्यूजियम में रखवाने के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा है कि रॉकेट के इस टुकड़े को संग्रहालय में उसी जगह रखा जा सकता है, जहां अमेरिकन अंतरिक्ष एजेंसी नासा के स्काईलैब स्टेशन से गिरे टुकड़े रखे गए हैं. यह टुकड़े ऑस्ट्रेलिया में 1979 में गिरे थे.

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