बर्थ डे स्पेशल: भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा को क्यों कहते हैं 'हीरो ऑफ सोवियत यूनियन'

बर्थ डे स्पेशल - भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा को क्यों कहते हैं 'हीरो ऑफ सोवियत यूनियन'
| Updated on: 13-Jan-2020 12:06 PM IST
13 जनवरी 1949 को पटियाला में जन्मे राकेश शर्मा (Rakesh Sharma) ने 1984 में अंतरिक्ष में जाकर इतिहास रच दिया था।  इंडियन एयरफोर्स में पायलट रहे राकेश शर्मा इकलौते भारतीय नागरिक हैं जो अंतरिक्ष यात्री रह चुके हैं।  उनके अलावा दिवंगत कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसे दूसरे भारतीय मूल के लोग भी अंतरिक्ष में जा चुके हैं, लेकिन वो अमेरिकी नागरिक हैं।  वायुसेना के एक जवान के तौर पर अपनी नौकरी करते हुए राकेश शर्मा ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका सफर एयरफोर्स से अंतरिक्ष तक पहुंच जाएगा।  अपने सफर को याद करते हुए शर्मा ने एक बार कहा था कि मैंने बचपन से पायलट बनने का सपना देखा था, जब मैं पायलट बन गया तो सोचा सपना पूरा हो गया।  अंतरिक्ष यात्रा के बारे में तो हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे। 

अंतरिक्ष में गुजारे थे 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट

1984 में सोवियत के Soyuz T11 स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष गए राकेश शर्मा ने वहां 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट गुजारे थे।  उनके साथ सोवियत यूनियन के दो अंतरिक्षयात्री भी थे-यूरी मैलीशेव, गेनाडी स्ट्रेकलोव।  3 अप्रैल से 11 अप्रैल 1984 तक राकेश शर्मा अंतरिक्ष में रहे। 

क्यों कहा जाता है हीरो ऑफ सोवियत यूनिय

राकेश शर्मा की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद उन्हें कई पुरस्कार मिले।  भारत में उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया तो वहीं सोवियत यूनियन ने उन्हें 'हीरो ऑफ सोवियत यूनियन' पुरस्कार से सम्मानित किया था।  ये पुरस्कार सोवियत यूनियन के भंग होने के पहले तक वहां की सरकार देती थी।  इस पुरस्कार के बाद राकेश शर्मा के साथ 'हीरो' शब्द चिपक गया। 

'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा'एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में राकेश शर्मा से यह सवाल किया गया था कि आखिर अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है।  इस पर उन्होंने जवाब दिया कि अंतरिक्ष यात्रा के बाद यह सवाल सबसे पहले उनसे इंदिरा गांधी ने पूछा था।  इसके जवाब में शर्मा ने कहा, 'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा। ' उन्होंने कहा था कि अंतरिक्ष में सबसे खूबसूरत क्षण होता है सूर्योदय और सूर्यास्त के समय का।  ज़ीरो ग्रेविटी का भी फन होता है। 

कैसे हुए थे शामिल

80 के दशक की शुरुआत में सोवियत यूनियन अपना एक स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा था।  सोवियत की तरफ से इंदिरा गांधी को प्रस्ताव दिया गया कि वो भी इस मिशन में दो भारतीयों को भेज सकती हैं।  इसी के तहत राकेश शर्मा को चुना गया था।  उनके साथ रवीश मल्होत्रा का भी चयन हुआ था लेकिन वो बैक अप में थे।  वो अंतरिक्ष यात्रा पर नहीं गए थे। 

अंतरिक्ष में इंसान भेजेगा भारत

अब भारत अंतरिक्ष में अपने पहले मानव मिशन के सपने को साकार करने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है।  योजना के मुताबिक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दिसंबर 2021 में अंतरिक्ष में अपना पहला मानव मिशन भेजेगा।  इस मानव मिशन में न सिर्फ वैज्ञानिक होंगे बल्कि एक आम नागरिक को भी इस महत्वकांक्षी परियोजना का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा।  इसे लेकर इसरो के अध्यक्ष ने एक इंटरव्यू में कहा था-चयन की प्रक्रिया भारतीय वायु सेना के जरिए होगी।  इसमें एक आम नागरिक को भी शामिल किया जाएगा।  गौरतलब है कि राकेश शर्मा भी भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं।  अब वो रिटायर हो चुके हैं।  आज वो अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं। 


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