Punjab High Court: मनोरोगी गुस्सैल पत्नी के साथ जीवन बिताना आजीवन यातना, तलाक की मांग स्वीकार

Punjab High Court - मनोरोगी गुस्सैल पत्नी के साथ जीवन बिताना आजीवन यातना, तलाक की मांग स्वीकार
| Updated on: 04-Jan-2023 06:28 PM IST
High Court News : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने तलाक की मांग को लेकर पति द्वारा दाखिल की गई याचिका को मंजूर करते हुए कहा कि मनोरोगी और गुस्सैल पत्नी के साथ जीवन बिताना आजीवन यातना जैसा है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने तलाक का केस दाखिल होते ही पति के खिलाफ दहेज को लेकर एफआईआर दर्ज करवा दी जो उसका रवैया दर्शाता है।

याचिका दाखिल करते हुए अमृतसर निवासी पति ने हाईकोर्ट को बताया कि उसका विवाह 2011 में हुआ था और विवाह में दहेज बिलकुल नहीं लिया गया था। विवाह के कुछ समय बाद से ही पत्नी का गुस्सैल रवैया सामने आने लगा था। जब उसे बेटी हुई तो रवैया और खराब हो गया। पत्नी ने घर के काम करने से मना कर दिया और अक्सर याची व याची के अभिभावकों को सार्वजनिक तौर पर थप्पड़ मार कर बेइज्जत करती थी। इसके बाद याची ने तलाक के लिए याचिका दाखिल की तो पत्नी ने दहेज की मांग का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवा दी। इसके बाद दोनों के बीच समझौता हो गया और एफआईआर रद्द हो गई।

इसके बाद भी पत्नी का रवैया नहीं बदला और वह और क्रूर होती चली गई। एक दिन बिना याची को बताए अपने घर चली गई। याची ने फिर तलाक के लिए याचिका दाखिल की तो फिर से पुलिस को शिकायत दे दी गई। याची ने बताया कि उसकी पत्नी मनोरोगी है और उसका इलाज भी करवाया गया था।

पत्नी ने सभी आरोपों को नकार दिया और याची पर आरोप लगाया कि कम दहेज को लेकर उसे अपमानित किया जाता था। पत्नी ने कहा कि याची उस पर अपने पिता की संपत्ति में हिस्से के लिए दबाव बनाता था।

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि दो डॉक्टरों की राय है कि मानसिक बीमारी है और उसका इलाज किया जा सकता है लेकिन ठीक नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि मनोरोगी व गुस्सैल जीवनसाथी के साथ रहने के लिए याची को मजबूर करना उसके लिए आजीवन यातना होगा।


पति व ससुराल वालों को बेइज्जत करना भी उनके प्रति क्रूरता है। पति के तलाक का केस दाखिल करने के बाद पत्नी द्वारा उसके खिलाफ दहेज मांगने का आरोप लगा एफआईआर दर्ज करवाना उसका रवैया दर्शाता है। ऐसे में हाईकोर्ट ने पति की याचिका को मंजूर करते हुए तलाक का आदेश जारी किया है।


ससुरालवालों को सार्वजनिक तौर पर करती थी बेइज्जत

पत्नी ने घर के काम करने से मना कर दिया और अक्सर याची और उसके अभिभावकों को सार्वजनिक तौर पर थप्पड़ मार कर बेइज्जत करती थी। इसके बाद याची ने तलाक के लिए याचिका दाखिल की तो पत्नी ने दहेज की मांग का आरोप लगाते हुए एफआइआर दर्ज करवा दी।


इसके बाद दोनों के बीच समझौता हो गया और एफआइआर रद हो गई। इसके बाद भी पत्नी का रवैया नहीं बदला, वह और क्रूर होती चली गई। एक दिन वह याची को बताए बिना अपने मायके चली गई। याची ने फिर तलाक के लिए याचिका दाखिल की तो पत्नी ने फिर से पुलिस को शिकायत दे दी।


पत्नी ने सभी आरोपों को नकारा

याची ने बताया कि उसकी पत्नी मनोरोगी है और उसका इलाज भी करवाया गया था। वहीं पत्नी ने अपने पति के सभी आरोपों को नकार दिया और याची पर आरोप लगाया कि कम दहेज को लेकर उसे अपमानित किया जाता था। पत्नी ने कहा कि याची उस पर अपने पिता की संपत्ति में हिस्से के लिए दबाव बनाता था।


हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि दो डाक्टरों की राय है कि याची को मानसिक बीमारी है। उसका उपचार किया जा सकता है लेकिन ठीक नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि मनोरोगी व गुस्सैल जीवनसाथी के साथ रहने के लिए याची को मजबूर करना उसके लिए आजीवन यातना होगी।

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