Delhi Election: AAP लगाएगी हैट्रिक- BJP का खत्म होगा सूखा या कांग्रेस करेगी वापसी? क्यों खास है दिल्ली

Delhi Election - AAP लगाएगी हैट्रिक- BJP का खत्म होगा सूखा या कांग्रेस करेगी वापसी? क्यों खास है दिल्ली
| Updated on: 07-Jan-2025 07:40 PM IST
Delhi Election: दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। 5 फरवरी को सभी 70 सीटों के लिए वोटिंग होगी और 8 फरवरी को नतीजे आएंगे। इस बार का चुनाव कई मायनों में खास है। राजनीतिक पटल पर प्रमुख पार्टियां—आम आदमी पार्टी (आप), कांग्रेस, और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)—अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतर चुकी हैं।

भाजपा के लिए निर्णायक परीक्षा: खत्म होगा 27 साल का सूखा?

1993 में मदनलाल खुराना की अगुवाई में भाजपा ने दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाया था। लेकिन इसके बाद के 27 वर्षों में पार्टी दिल्ली में सरकार बनाने में असफल रही। इस बार भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की सक्रियता इसे और रोचक बना रही है। 1998 के बाद से विधानसभा में भाजपा के सूखे को खत्म करना पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।

कांग्रेस: वापसी की उम्मीदें

1998 से 2013 तक दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस का स्वर्ण युग रहा। लेकिन 2013 के चुनावों में कांग्रेस को जोरदार झटका लगा और पार्टी ने केवल सात सीटें जीतीं। इसके बाद, 2015 और 2020 के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इस बार कांग्रेस ने नए चेहरों और युवा उम्मीदवारों को तरजीह देकर वापसी की रणनीति बनाई है।

आम आदमी पार्टी: हैट्रिक पर नजर

2013 में राजनीति में धमाकेदार एंट्री करने वाली आम आदमी पार्टी ने 2015 में 67 सीटों की ऐतिहासिक जीत के साथ सरकार बनाई। 2020 के चुनाव में भी आप ने अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी। इस बार अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप अपनी तीसरी जीत की उम्मीद कर रही है। हालांकि पार्टी को कई आरोपों और विवादों का सामना करना पड़ा है, लेकिन केजरीवाल की लोकप्रियता और पार्टी की जमीनी कार्यशैली इसे बढ़त देती है।

क्या होगा दिल्ली का भविष्य?

यह चुनाव न केवल सत्ता बदलने का सवाल है, बल्कि यह दिल्ली के भविष्य की दिशा तय करेगा।

  • भाजपा के लिए यह चुनाव राष्ट्रीय राजनीति में उसकी ताकत और संगठन क्षमता को साबित करने का मौका है।
  • कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन पाने के लिए कोशिश करेगी।
  • वहीं, आम आदमी पार्टी को यह दिखाना है कि वह अभी भी जनता की पहली पसंद है।

जनता का फैसला

दिल्ली का चुनावी माहौल गरमा चुका है। जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है और कौन दिल्ली के विकास की बागडोर संभालेगा, यह 8 फरवरी को तय हो जाएगा। यह चुनाव केवल सत्ता का संघर्ष नहीं, बल्कि दिल्ली की सियासी तस्वीर बदलने का एक अहम पड़ाव साबित हो सकता है।

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