Basant Panchami 2022: बसंत पंचमी का पर्व 5 फरवरी को मनाया जाएगा, जानें शुभ मुहूर्त और कथा

Basant Panchami 2022 - बसंत पंचमी का पर्व 5 फरवरी को मनाया जाएगा, जानें शुभ मुहूर्त और कथा
| Updated on: 03-Feb-2022 05:12 PM IST
Basant Panchami 2022 : पंचांग के अनुसार 5 फरवरी 2022, शनिवार को माघ शुक्ल की पंचमी तिथि है. इस तिथि को बसंत पंचमी कहा जाता है. बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती को समर्पित है. इस दिन माता सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है.

ज्ञान की देवी हैं मां सरस्वती

बसंत पंचमी का संबंध ज्ञान और शिक्षा से है. हिंदू धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान की देवी माना गया है. इस वर्ष बसंत पंचमी शनिवार के दिन है. पंचांग के अनुसार इस दिन कई शुभ संयोग भी बनने जा रही है. 

बसंत पंचमी पर पीले रंग का महत्व

बसंत पंचमी पर पीले रंग का विशेष महत्व है. इस दिन पीले वस्त्र पहनने की भी परंपरा है. बसंत पंचमी को पीले पुष्पों से मां सरस्वती की पूजा की जाती है. उन्हें पीले वस्त्र भेंट किए जाते हैं. माना जाता है कि इसी दिन से बंसत ऋतु का आरंभ होता है. सर्दी का जाना शुरू हो जाता है. सूर्य अपने पुराने तेवरों की ओर लौटने लगते हैं. सभी ऋतुओं में बसंत को सबसे खूबसूरत ऋतु माना गया है. इस दिन बसंत ऋतु का आरंभ होता है, इस दिन से पेड़, पौधे नई रंगत में लौटते हैं, बागों में फूल खिलने लगते हैं.

बसंत पंचमी, शुभ मुहूर्त

पंचाग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पंचमी की 05 फरवरी सुबह 03 बजकर 47 मिनट से शुरू हो कर 06 फरवरी प्रात: 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. अतः बसंत पंचमी का पर्व 05 फरवरी 2022, शनिवार को मनाया जाएगा. इस दिन सिद्ध योग शाम 17 बजकर 40 मिनट तक बना हुआ है. पंचांग के अनुसार इस दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र रहेगा.

बसंत पंचमी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की तो इसमें सभी को स्थान प्रदान किया. सृष्टि को भरने के लिए ब्रह्म ने वृक्ष, जंगल, पहाड़, नदी और जीव जन्तु सभी की सृष्टि की. इतना सबकुछ रचने के बाद भी ब्रह्मा जी को कुछ कमी नजर आ रही थी, वे समझ नहीं पा रहे थे कि वे क्या करें. काफी सोच विचार के बाद उन्होने अपना कमंडल उठाया और जल हाथ में लेते हुए उसे छिड़क दिया. जल के छिड़कते ही एक सुंदर देवी प्रकट हुईं. जिनके एक हाथों में वीणा थी, दूसरे में पुस्तक. तीसरे में माला और चौथा हाथ आर्शीवाद देने की मुद्रा में था.

इस दृश्य को देखकर ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए. इस देवी को ही मां सरस्वती का कहा गया. मां सरस्वती ने जैसे ही अपनी वीणा के तारों को अंगुलियों से स्पर्श किया उसमें से ऐसे स्वर पैदा हुए कि सृष्टि की सभी चीजों में स्वर और लय आ गई. वो दिन बंसत पंचमी का था. तभी से देव लोक और मृत्युलोक में मां सरस्वती की पूजा शुरू हो गई.

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