Fair and UnFair: क्या एक ब्रांड के नाम बदलने से हमारे समाज में बदलाव आएगा ?

Fair and UnFair - क्या एक ब्रांड के नाम बदलने से हमारे समाज में बदलाव आएगा ?
| Updated on: 10-Jul-2020 07:31 PM IST
By News Helpline – Mumbai | 'पाइये गोरा निखार सिर्फ 7 दिनों में ', 'त्वचा को निखारे और इसे गोरा बनाये', 'गोरापन पाए सिर्फ कुछ ही दिनों में', बाज़ार में ऐसे प्रोडक्ट्स बेचे जाते है जो दांवा करते है आपके रंग को गोरा बनाने के लिए। आपको बता दे की यही क्रीम की बिक्री शायद सबसे ज्यादा भी होती है क्यूंकि हमारे समाज में शुरू से ही गोर रंग को ऊँचा दर्जा दिया जाता आ रहा हैं। हर कोई गोर रंग की तरफ आकर्षित होता हैं।

पिछले महीने अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड के साथ जो हुआ उसके उपरांत पूरे विश्व में एक लहर उठी 'ब्लैक लाइव्स मैटर '. हमारे देश में भी उसके लिए कई  दिग्गज नामो ने अपना सहयोग दिया। जिसके बाद पिछले महीने ही भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली क्रीम 'हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड ' की 'फेयर & लवली' के नाम को बदलने का फैसला लिया गया। HUL की टीम ने फैसला लिया की अब वह क्रीम के नाम से 'फेयर' शब्द निकाल देंगे। इस फैसले को  लेकर कई लोगों ने काफी तारीफ भी की और क्रीम का नाम अब 'ग्लो & लवली' रखने का सोचा जा रहा हैं।

लेकिन क्या सिर्फ क्रीम के नाम बदलने से हमारे समाज में बदलाव आ जाएगा और क्या लोग अब 'जो लोग गोरे नहीं होते हैं ' उन्हें अलग नजरिये से देखने लग जायेंगे?

फेयरनेस क्रीम प्रॉब्लम का सिर्फ एक हिस्सा हैं, हमारे देश में गोरे रंग से जो ग्रस्तता है वे सदियों से चली आ रही हैं और हर घर में मौजूद हैं। हमारे समाज में लोगों को उनके रंगो के अनुसार नाम दिए जाते हैं: फेयर, डार्क, डस्की और फिर आते है वे लोग जो न काले होते है और न गोर, उन्हें व्हीटिश बुलाया जाता हैं।

पैदा होने से पहले ही गोरा रंग पाने के लिए एक माँ को ऐसे पदार्थ खिलाये जाते है जिस से बच्चा गोरा पैदा हो  और पैदा होते ही , गोरा रंग पाने के लिए चेहरे पर दादी माँ के घरेलु  नुस्खों को अपनाया जाता हैं , शादी के दौरान भी हर किसी को सुन्दर और गोरी लड़की चाहिए होती हैं , ऑफिस में भी गोरी और सुन्दर लड़की को जल्दी नौकरी मिल जाती हैं।

शायद एक क्रीम के नाम बदलने से समाज में जो सुधार चाहिए उसकी शुरुवात हो लेकिन असल बदलाव हमें हमारी सोच में लाना हैं। काले गोरे का भेद ख़त्म करना है। इंसान का ऊपरी हिस्सा या उसका रंग नहीं बताता है की उसमे कितनी काबिलियत है या कितनी इंसानियत। यही सोच के साथ हमे खुद को और आने वाली पीढ़ी को आगे बढ़ाना हैं।


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