India-US Tariff War: भारत-US में कम होगी टेंशन? PM मोदी-ट्रंप की अगले महीने हो सकती है मुलाकात

India-US Tariff War - भारत-US में कम होगी टेंशन? PM मोदी-ट्रंप की अगले महीने हो सकती है मुलाकात
| Updated on: 13-Aug-2025 12:40 PM IST

India-US Tariff War: हाल के महीनों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ा है, जिसका मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयातों पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने का फैसला है। इस फैसले ने न केवल दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव को बढ़ाया है, बल्कि भारतीय कारोबारियों पर भी इसका गहरा असर पड़ने की आशंका है। इस तनाव के बीच, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आ रहा है कि सितंबर 2025 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात हो सकती है। यह मुलाकात दोनों देशों के रिश्तों को नई दिशा देने का अवसर हो सकती है।

टैरिफ विवाद की पृष्ठभूमि

अमेरिका ने हाल ही में भारत पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लागू किया था, जिसे बाद में भारत के रूस से तेल आयात को लेकर नाराजगी के चलते अतिरिक्त 25 प्रतिशत बढ़ाकर कुल 50 प्रतिशत कर दिया गया। यह टैरिफ 7 अगस्त से आंशिक रूप से लागू हो चुका है, और शेष 27 अगस्त से प्रभावी होगा। अमेरिका का कहना है कि भारत का रूस से तेल खरीदना मॉस्को के युद्ध प्रयासों को समर्थन देता है, जो यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अमेरिका के लिए चिंता का विषय है।

भारत ने इस टैरिफ को "अनुचित और तर्कहीन" करार देते हुए कड़ा विरोध जताया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, "भारत को निशाना बनाना अनुचित है। किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी जरूरी उपाय करेगा।" भारत ने यह भी तर्क दिया है कि अमेरिकी कंपनियां स्वयं रूस से यूरेनियम, रसायन और उर्वरक खरीद रही हैं, जिसे भारत ने अमेरिका की "पाखंडी" नीति करार दिया है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा और संभावित मुलाकात

संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र 9 सितंबर 2025 को न्यूयॉर्क में शुरू होगा, जिसमें हाई-लेवल जनरल डिबेट 23 से 29 सितंबर तक चलेगी। इस दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 सितंबर को UNGA को संबोधित कर सकते हैं, जबकि राष्ट्रपति ट्रंप 23 सितंबर को अपना भाषण देंगे। सूत्रों के अनुसार, इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी और ट्रंप के बीच एक द्विपक्षीय मुलाकात की संभावना है, जिसका मुख्य उद्देश्य व्यापार विवाद को सुलझाना और टैरिफ पर सहमति बनाना होगा।

यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत महीनों से रुकी हुई है। विशेष रूप से कृषि और डेयरी क्षेत्रों में भारत की अनिच्छा के कारण समझौता अब तक नहीं हो सका है। कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत करने और तनाव को कम करने का अवसर प्रदान कर सकती है।

पिछली मुलाकात और भविष्य की संभावनाएं

इससे पहले, फरवरी 2025 में पीएम मोदी ने व्हाइट हाउस का दौरा किया था, जहां दोनों नेताओं ने 2025 तक एक पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) के पहले चरण की बातचीत शुरू करने की घोषणा की थी। उस समय दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत गर्मजोशी दिखाई दी थी, लेकिन ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में टैरिफ और व्यापार मुद्दों पर उनके बयानों ने रिश्तों में तनाव पैदा किया है।

कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह मुलाकात सफल होती है, तो यह न केवल व्यापार समझौते की दिशा में प्रगति ला सकती है, बल्कि रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भू-राजनीतिक मुद्दों पर भी भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को बढ़ा सकती है। भारत इस समय 15 अगस्त को ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली बैठक पर भी नजर रखे हुए है, जो यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।

भारत की रणनीति और चुनौतियां

भारत के लिए यह दौरा केवल व्यापारिक तनाव को कम करने का अवसर नहीं है, बल्कि यह अपनी ऊर्जा और व्यापार हितों के अनुरूप कूटनीतिक रणनीति तय करने का मौका भी है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने किसानों और आर्थिक हितों से समझौता नहीं करेगा। साथ ही, भारत ने अमेरिका के टैरिफ को एकतरफा और गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए जवाबी कार्रवाई की संभावना से इनकार नहीं किया है।

इसके अलावा, भारत की रूस से तेल खरीद को लेकर अमेरिका की आलोचना ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव को और बढ़ाया है। भारत का तर्क है कि उसकी ऊर्जा जरूरतें और आर्थिक सुरक्षा सर्वोपरि हैं, और वह वैश्विक व्यापार नियमों के तहत अपने हितों की रक्षा करेगा।

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