Ajmer Sharif Dargah: अजमेर की दरगाह शरीफ का भी क्या होगा सर्वे? कोर्ट ने जारी किया नोटिस

Ajmer Sharif Dargah - अजमेर की दरगाह शरीफ का भी क्या होगा सर्वे? कोर्ट ने जारी किया नोटिस
| Updated on: 27-Nov-2024 08:14 PM IST

Ajmer Sharif Dargah: संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के बाद भड़की हिंसा का मामला अभी पूरी तरह शांत नहीं हुआ था कि राजस्थान के अजमेर जिले में दरगाह शरीफ को लेकर एक नई कानूनी चुनौती सामने आई है। बुधवार को अजमेर की अदालत में एक याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें दरगाह शरीफ को हिंदू मंदिर बताया गया है। यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर की गई है। अदालत ने याचिका स्वीकार कर संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिया है और अगली सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर तय की है।

हिंदू सेना का दावा

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि अजमेर दरगाह शरीफ का परिसर एक समय में शिव मंदिर हुआ करता था। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर धार्मिक भावनाएं और सामाजिक सौहार्द जुड़ा हुआ है, और इसका समाधान न्यायालय के माध्यम से होना आवश्यक है।

कोर्ट की कार्रवाई

कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया और उन्हें अगली सुनवाई में अपने तर्क प्रस्तुत करने के लिए कहा। याचिका में एक विशेष किताब का हवाला दिया गया है, जो इस दावे को आधार प्रदान करती है। किताब के अनुसार, दरगाह शरीफ की जमीन पर पहले भगवान शिव का मंदिर था।

किताब का उल्लेख

याचिका में हर विलास शारदा द्वारा 1911 में लिखी गई एक किताब का उल्लेख किया गया है। इस किताब में दावा किया गया है कि दरगाह शरीफ की वर्तमान भूमि पर पहले एक प्राचीन शिव मंदिर था, जहां भगवान भोलेनाथ की पूजा और जलाभिषेक किया जाता था। इसके अतिरिक्त, किताब में यह भी लिखा गया है कि दरगाह परिसर में मौजूद 75 फीट लंबे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के अवशेषों का उपयोग हुआ था। यहां तक कि दरगाह के तहखाने में एक गर्भगृह होने का भी दावा किया गया है।

20 दिसंबर को अगली सुनवाई

अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी। इस दौरान दोनों पक्ष अपने-अपने तर्क और दस्तावेज पेश करेंगे। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इसे हिंदू समाज की धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा मामला बताया है। हालांकि, दरगाह शरीफ के प्रतिनिधियों की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

सामाजिक और धार्मिक चर्चा

यह मामला सामाजिक और धार्मिक स्तर पर व्यापक चर्चा का विषय बन चुका है। हिंदू सेना के इस कदम के बाद धार्मिक संगठनों और आम जनता के बीच भी प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। अदालत के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह मामला न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द पर भी असर डाल सकता है।

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