Yasin Malik terror funding case: टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा, NIA कोर्ट का फैसला

Yasin Malik terror funding case - टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा, NIA कोर्ट का फैसला
| Updated on: 25-May-2022 07:15 PM IST
Yasin Malik terror funding case: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ में उस पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। NIA कोर्ट के फैसले से साफ है कि अब यासीन मलिक पूरी जिंदगी जेल में रहेगा क्योंकि उसे दो धाराओं में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। IPC की धारा 121 (देश के खिलाफ जंग छेड़ना) और UAPA की धारा 17 के तहत कोर्ट ने यह सजा सुनाई है। मलिक की उम्रकैद की सजा अन्य धाराओं में सुनाई गई सजा के साथ ही चलेगी। इससे पहले NIA ने टेरर फंडिंग केस में मलिक को फांसी की सजा देने की मांग की थी। यासीन मलिक ने UAPA के तहत अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था। साथ ही इस केस में बहस पूरी हो चुकी थी, सिर्फ सजा का ऐलान होना बाकी था।

कबूल कर चुका है अपना गुनाह

एजेंसी ने विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत के सामने मलिक को मृत्युदंड देने की मांग की थी जबकि उसकी कानूनी सहायता के लिए अदालत की ओर से नियुक्त न्याय मित्र ने मलिक को इस मामले में न्यूनतम सजा यानी आजीवन कारावास दिए जाने का अनुरोध किया था। पटियाला हाउस स्थित विशेष न्यायाधीश ने NIA अधिकारियों को यासीन मलिक वित्तीय स्थिति का आकलन करने का निर्देश दिया था जिससे जुर्माने की राशि निर्धारित की जा सके। इससे पहले 10 मई को मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का सामना नहीं करना चाहता है। उसने अपना जुर्म कबूल लिया था, मलिक इस वक्त दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है और उसे सजा के ऐलान से पहले कोर्ट रूम में लाया गया था।

मलिक इन मामलों में दोषी

NIA कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक को UAPA के तहत 19 मई को दोषी करार दिया था। मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता, इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए फंड जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं।

एनआईए की चार्जशीट में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन का भी नाम था, जिन्हें मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है।

श्रीनगर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

यासीन मलिक की सजा पर फैसला आने से पहले ही श्रीनगर में इंटरनेट बंद कर दिया गया था। साथ ही यासीन मलिक के घर के पास फैसले के विरोध में पत्थरबाजी भी हुई थी। अधिकारियों ने बताया कि फैसले के मद्देनजर लाल चौक की कुछ दुकानों सहित मैसूमा और आसपास के इलाकों में ज्यादातर दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि पुराने शहर के कुछ इलाकों में भी दुकानें बंद रहीं, लेकिन सार्वजनिक परिवहन सामान्य रहा। उन्होंने बताया कि कानून-व्यवस्था की किसी भी प्रकार की समस्या से बचने के लिए शहर में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।

दूसरी ओर मलिक को उम्रकैद की सजा होने पर कश्मीरी पंडितों ने मिठाई बांटकर जश्न मनाया। हालांकि उनकी मांग थी कि यासीन मलिक को इस मामले में फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी

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